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भारत ने किया पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण

भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और कामयाबी हासिल कर ली. देश ने परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का प्रायोगिक परीक्षण किया और मिसाइल ने करीब 10 मीटर की ‘अत्यधिक सटीकता’ के साथ लक्ष्य साध लिया.

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भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और कामयाबी हासिल कर ली. देश ने परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का प्रायोगिक परीक्षण किया और मिसाइल ने करीब 10 मीटर की ‘अत्यधिक सटीकता’ के साथ लक्ष्य साध लिया.

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रवक्ता ने कहा, ‘मिसाइल को यहां से निकट चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण रेंज से सुबह 9 बजे दागा गया. ऐसा सशस्त्र बलों के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास के तहत किया गया.’

रक्षा अधिकारियों ने कहा, ‘पृथ्वी-2 पहली स्वदेश निर्मित और सतह से सतह पर वार करने में समक्ष सामरिक मिसाइल है. यह 350 किलोमीटर की दूरी तक हमला कर सकती है. मिसाइल ने 10 मीटर से भी बेहतर और अत्यधिक सटीकता के साथ बंगाल की खाड़ी में अपना निशाना साध लिया.’

उन्होंने कहा कि प्रायोगिक परीक्षण के जरिये मिशन के सभी उद्देश्य हासिल हो गये हैं. पूर्व में किये गये परीक्षणों के दौरान प्राप्त नियमित परिणामों के साथ ही यह मिसाइल सटीकता के उस स्तर पर पहुंच चुकी है जहां कोई चूक होने की आशंका नहीं के बराबर होती है.

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पृथ्वी-2 में किसी भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल को झांसा दे कर निशाना साधने की क्षमता है. वर्ष 2008 में जब इस पर परीक्षण किया गया तब यह 483 सैकंड की अवधि में 43.5 किलोमीटर की शीर्ष ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रही थी.

सशस्त्र बलों के परिचालन अभ्यासों के तहत दो पृथ्वी-2 मिसाइलों को 12 अक्तूबर 2009 को कुछ ही मिनटों के अंतराल में एक-एक कर दागा गया. इन मिसाइलों ने चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण रेंज से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो विभिन्न लक्ष्यों को निशाना बनाया.

इस मिसाइल का जब ‘साल्वो मोड’ में 27 मार्च और 18 जून 2010 को चांदीपुर से परीक्षण किया गया तब इसने एक बार फिर अपनी सटीकता साबित की. पृथ्वी-2 मिसाइल का यह आठ महीने के भीतर चौथा सफल परीक्षण था.

इस मिसाइल की मारक क्षमता 250 से 350 किलोमीटर के बीच है. यह पांच सौ से एक हजार किलोग्राम वजन का आयुध ले जाने में सक्षम है.

सूत्रों ने कहा कि प्रायोगिक परीक्षण के दौरान पूरे उड़ान पथ पर आधुनिक राडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक टेलीमेट्री स्टेशनों के जरिये नजर रखी गयी. परीक्षण के बाद के विश्लेषण के लिये बंगाल की खाड़ी में मिसाइल के प्रभाव क्षेत्र में नौसना के एक जहाज को तैनात किया गया था.

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डीआरडीओ प्रमुख वी के सारस्वत, कार्यक्रम निदेशक वी एल एन राव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी प्रायोगिक परीक्षण के दौरान मौजूद थे.

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