भारत ने कर चोरी और करों से जुड़ी जालसाजी का फर्क मिटाने के लिए दबाव बनाने का फैसला किया है. गौरतलब है कि कर चोरी और करों से जुड़ी जालसाजी के बीच फर्क की वजह से ही भारतीय नागरिकों को विदेशों में अपनी आमदनी छुपाने में मदद मिली है.
कर चोरी और करों से जुड़ी जालसाजी का फर्क मिटाने की कवायद विदेशों में जमा धन वापस लेने के मकसद से की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि बहुत सारे देशों ने इस आधार पर सूचनाएं देने से इनकार कर दिया कि कर चोरी उनके देश के कानून के मुताबिक कोई अपराध नहीं है लेकिन यदि इसमें करों से जुड़ी जालसाजी शामिल हो तो वे सहयोग करेंगे.
बीते सप्ताह के अंत में पेरिस में आयोजित जी-20 देशों की बैठक में इस बिंदु पर जोर-शोर से चर्चा की गयी. जी-20 देशों की बैठक में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था. ‘कर चोरी’ और ‘करों से जुड़ी जालसाजी’ की अलग-अलग परिभाषा होने से पैदा होने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि दोनों में तालमेल की जरूरत है ताकि संबंधित देशों से बिना किसी बाधा के सूचनाएं हासिल की जा सके. {mospagebreak}
जी-20 में मंत्रियों की बैठक में मुखर्जी ने कहा, ‘कुछ देश करों से जुड़ी जालसाजी और कर चोरी में फर्क करते हैं. मान्यता के इस अंतर से संपत्ति को जानबूझकर छुपाने में मदद मिलती है ताकि कर चोरी की जा सके. यह एक ऐसी चीज है जो पूरी दुनिया में गुनाह माना जाता है और सूचनाओं के प्रभावी आदान-प्रदान में बाधा पैदा करता है.’
मुखर्जी ने कहा, ‘विदेशों में धन जमा करके रखने वाले कर चोरों का पता लगाने के सरकारी मुलाजिमों के प्रयास में मदद करने के लिए हमें देशों को यह फर्क मिटाने को प्रोत्साहित करना चाहिए.’ वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने जिन 78 देशों के साथ दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौता (डीटीएए) किया है, वह उसकी समीक्षा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘10 देशों के साथ डीटीएए की समीक्षा की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है और कई अन्य की समीक्षा जल्द ही पूरी होने वाली है.’ डीटीएए से गुनहगारों के बारे में बैंकिंग सूचनाएं मांगने में मदद मिलेगी.