पड़ोस में हिंसक घटनाओं के कारण देश की सुरक्षा के समक्ष चुनौती का उल्लेख करते हुए सरकार ने कहा कि सशस्त्र बलों का तेजी से आधुनिकीकरण किया जायेगा और आने वाले दशक में रक्षा खर्च में वृद्धि लाजमी है.
येलाहेंका वायु सेना अड्डे पर दक्षिण एशिया के सबसे बड़े वायु प्रदर्शनी समारोह का शुभारंभ करते हुए एंटनी ने भारतीय वायुसेना के एम-एमआरसी विमानों की आपूर्ति के लिए 11 अरब डॉलर के सौदे को जल्द ही अंतिम रूप दिया जायेगा जिसके तहम 126 युद्धक विमान खरीदे जाने हैं.
दुनिया के कई देशों द्वारा इस सौदे के लिए अपने देश की कंपनियों का समर्थन किए जाने के बीच उन्होंने कहा कि निविदा देने का फैसला योग्यता के आधार पर किया जाएगा और यह राजनीतिक नहीं होगा. एंटनी ने कहा, ‘फैसला सिर्फ योग्यता के आधार पर ही होगा. विभिन्न रक्षा खरीद प्रक्रियाओं में कोई राजनीतिक फैसला नहीं होगा. जहां तक भारत का सवाल है, रक्षा खरीद प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप और राजनीतिक फैसला नहीं होगा.’ {mospagebreak}
एंटनी मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट (एम एमआरसीए) के बारे में पूछे गए विभिन्न सवालों का जवाब दे रहे थे. उनसे उस खबर के बारे में भी सवाल किया गया था जिसमें कहा गया है कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन करने के बदले अमेरिका ने इन विमानों के लिए ठेका अपनी एक कंपनी को देने को कहा है.
चौथी पीढ़ी के 126 विमानों की आपूर्ति के लिए दो अमेरिकी कंपनियों लाकहीड मार्टिन और बोइंग के अलावा यूरोपीय यूरोफाइटर, रूसी मिग, स्वीडिश ग्रिपेन और फ्रांस की राफाल भी होड़ में हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारा रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत है और इसके अगले दो दशकों के दौरान बढ़ना लाजमी है.’ इन सभी देशों के प्रमुखों ने पिछले एक साल में भारत की यात्रा की है और अपने देशों की कंपनियों को ठेका देने पर जोर दिया है. इस सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी शामिल हैं. {mospagebreak}
एंटनी ने कहा कि ठेका देने का फैसला अगले वित्त वर्ष में किए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा कि सभी रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही ठेके दिए जाएंगे. रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान :एलसीए: तेजस को वायुसेना में 2012 तक शामिल कर लिया जायेगा और इसका अत्याधुनिक प्रारूप 2015 तक तैयार हो जायेगा.
उन्होंने कहा, ‘एलसीए तेजस एमके-1 2012 तक वायु सेना में शामिल होने को तैयार होगा. जबकि एलसीए-2 को तैयार होने में तीन वर्ष लगेंगे और इसे 2015 तक वायु सेना में शामिल किया जा सकेगा.’ एंटनी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने महानिदेशक खरीद के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है जो इस विषय में सभी पक्षों के साथ चर्चा करेगी.
इसमें डीआरडीओ, तीनों सेना और उद्योग शामिल हैं और इस बारे में अंतिम निर्णय रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) करेगा. इसरो के एस बैंड से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में किसी को खुली छूट मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये नियंत्रण एवं संतुलन बनाने की व्यवस्था है. {mospagebreak}
एंटनी ने कहा, ‘लोकतंत्र में किसी को भी खुली छूट मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. नियंत्रण एवं संतुलन बनाने की व्यवस्था भी इसका हिस्सा है. मंत्रियों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों और हममें से किसी को भी खुली छूट मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.’
मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री के सीधे नियंत्रण में आने वाले अंतरिक्ष विभाग ने 70 मेगाहर्ट्ज के एस बैंड स्पेक्ट्रम को डेवास मल्टीमीडिया को 1,000 करोड़ रुपये में अवंटित किया जिसका वास्तविक मूल्य दो लाख करोड़ रुपया आंकी गयी है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि इस विषय में कोई भी निर्णय नहीं किया गया है, इसलिए राजस्व नुकसान के आकलन का कोई आधार नहीं है. रक्षा मंत्री ने कहा कि मंत्री और अधिकारी समेत सभी सरकारी कार्यकारी जनता और संसद के प्रति जवाबदेह है. उन्होंने कहा, ‘अंतत: हम सभी संसद के प्रति जवाबदेह हैं और सरकार विभागों के कामकाज में कोई दखल नहीं देती है.’