प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनी के साथ मुलाकात की और द्विपक्षीय मुद्दों तथा क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति समेत विभिन्न मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की. ऐसा कभी-कभार ही देखने को मिलता है कि खामेनी किसी गैर-मुस्लिम नेता से मिलते हैं.
73 वर्षीय खामेनी के साथ बैठक से पहले सिंह ने ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद से भेंट की. बाद में देश के सर्वोच्च नेता के साथ बैठक में राष्ट्रपति भी शामिल हुए.
दोनों बैठकों के बारे में आधिकारिक बयान तत्काल नहीं मिल पाया है. बहरहाल, भारतीय अधिकारियों ने संकेत दिया है कि इस बैठकों में आपसी व्यापार मेजबान देश के पक्ष में बहुत अधिक झुके होने, भारत को तेल एवं गैस की आपूर्ति के साथ-साथ अन्य द्विपक्षीय मुद्दों एवं सीरिया मामला समेत अंतरराष्ट्रीय मसला संभवत: छाया रहा.
हालांकि भारत और ईरान के बीच किसी तरह की ‘जिच पैदा करने वाली’ चीज नहीं है, पर भारत चाहता है कि ईरान भारतीय गेहूं तथा चाय समेत अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ाये.
अमेरिकी प्रशासन ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के मद्देनजर भारत और अन्य देशों पर उसके संबंध सीमित करने के लिए लगातार दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है. इस लिहाज से प्रधानमंत्री की ईरान के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों का काफी महत्व है. अमेरिका की आपत्ति के बावजूद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ईरान से तेल की खरीद जारी रखेगा.
सरकारी सूत्रों ने कहा, ‘हम ईरानी तेल के अभी भी सबसे बड़े खरीदार हैं. हम ऐसा करना जारी रखेंगे.’
सूत्रों ने हालांकि कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान से भारत जाने वाले तेलवाहक पोतों के लिए बीमा सुविधा को लेकर कुछ दिक्कत आ रही है जिसे सुलझाया जा रहा है, इन बैठकों नें दोनों देशों को सीरिया के बढ़ते संकट के साथ विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मसलांे पर एक-दूसरे के विचारों को समझने और उन्हें स्पष्ट करने का मौका प्रदान किया है.