विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा है कि भारत अगले कुछ महीनों में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ बातचीत करने के प्रति आशान्वित और वार्ता को लेकर ‘गंभीर’ है लेकिन वह चाहता है कि पाकिस्तान मुंबई हमलों के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे.
निरुपमा ने कहा, ‘उच्च स्तरीय बैठक के दौरान किसी भी बड़ी सफलता की उम्मीद नहीं है.’ यह बैठक अगले दो महीने के भीतर हो सकती है. उन्होंने कहा कि लेकिन इस बैठक से अच्छे रिश्ते स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ने का एक मजबूत आधार तैयार होगा.
उन्होंने थिम्पू में अगले महीने की शुरुआत में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में अपने पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर से मुलाकात करने से पहले हाल ही में नई दिल्ली में पाकिस्तानी पत्रकारों के साथ बातचीत की है. {mospagebreak}
पाकिस्तानी अखबारों के अनुसार विदेश सचिव ने कहा, ‘मैं विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता के दौरान कोई बड़ी सफलता हासिल करने का आपसे वादा नहीं कर सकती. बहरहाल, मुझे भरोसा है कि बातें आगे बढ़ेंगी.’ भारत-पाकिस्तान समग्र वार्ता वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमलों के बाद से थमी हुई है. इन हमलों को पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा ने अंजाम दिया था.
भारत इस बात पर जोर देता आया है कि पाकिस्तान को यह दर्शाना चाहिये कि वह मुंबई हमलों के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में गंभीर है. भारत ने कहा है कि मुंबई हमलों के मुख्य षड्यंत्रकारी लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद जैसे लोग पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं और भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहे हैं.
मुंबई हमलों के संदर्भ में निरुपमा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान षड्यंत्रकारियों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रक्रिया में देरी कर रहा है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में हम पाकिस्तान से बात करना चाहते हैं. निरुपमा ने कहा कि भारत मुंबई हमलों में संलिप्त रहे षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की पाकिस्तान की कोशिशों में जरदारी सरकार की मजबूरियों से वाकिफ है लेकिन भारत को त्वरित नतीजों की अपेक्षा है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘आपके देश के हालात के बारे में हमसे ज्यादा बेहतर और कौन वाकिफ होगा. हम आपके पड़ोसी हैं लेकिन सरकार को चरमपंथी और आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कदम उठाना होगा.’
थिम्पू में दक्षेस की बैठक से भारत और पाकिस्तान के लिये कोई अच्छी खबर आने संबंधी अटकलों पर निरुपमा ने कहा, ‘आपको अपेक्षाओं के बारे में गंभीरता बरतनी होगी.’ निरुपमा ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ वार्ता को लेकर गंभीर है लेकिन वह चाहती है कि पाकिस्तान आगे बढ़ने के लिये मुंबई हमलों के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे.
पाकिस्तानी अखबारों के अनुसार, निरुपमा ने कहा कि थिम्पू में मिलने वाला मौका तस्वीरें खिंचाने के लिये नहीं है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान इस बात को समझते हैं कि वे संयुक्त दृष्टिकोण अपनाकर ही आतंकवादियों को शिकस्त दे सकते हैं. निरुपमा ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में भारत पाकिस्तान के रुख को समझता है. भारत आतंकवादियों और उग्रवादियों को शिकस्त देने में पाकिस्तान की मदद करने को तैयार है. {mospagebreak}
एक अन्य सवाल के जवाब में निरुपमा ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास की कमी है. दोनों देशों के नेतृत्व को प्राथमिकता के आधार पर इस समस्या की ओर ध्यान देना होगा. निरुपमा ने कहा कि सीमा के दोनों ओर रह रहे करोड़ों लोगों का कल्याण दोनों देशों की सरकारों का साझा एजेंडा होना चाहिये. एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान को शांतिपूर्ण, स्थिर, ऊर्जा के मामले में सुरक्षित और खुशहाल देखना चाहता है जो अपनी खुद की और क्षेत्र की भलाई के लिये आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से कदम उठाये.
निरुपमा ने जोर दिया कि वृहद आर्थिक और व्यापारिक एकीकरण, ज्यादा से ज्यादा पारस्परिक संपर्क और एक-दूसरे के विचारों को समझने के लिये अधिक से अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने से बेहतर सामरिक संयम की कोई और व्यवस्था नहीं हो सकती.
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि भारत के युद्धग्रस्त देश में प्रत्यक्ष हित इसलिये नहीं हैं कि उस देश की पाकिस्तान के साथ प्रतिद्वंद्विता रही है, बल्कि ऐसा इसलिये है क्योंकि उसके अफगानिस्तान के साथ संबंध ऐतिहासिक हैं. निरुपमा ने कहा कि भारत के अफगानिस्तान को 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद देने से वहां असैन्य बुनियादी संरचना खड़ी करने, मानव संसाधन विकसित करने और शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि तथा ग्रामीण विकास के क्षेत्र में क्षमता विकास करने में मदद मिली है.