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पाक के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान चाहता है भारत: मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत ‘अपने लोगों की शांति एवं समृद्धि’ के लिए बातचीत के जरिए पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान चाहता है.

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Manmohan Singh
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत ‘अपने लोगों की शांति एवं समृद्धि’ के लिए बातचीत के जरिए पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान चाहता है.

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उन्होंने अमेरिकी झुकाव के संकेत को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एक दूसरे पर निर्भरता वाली इस दुनिया में भारत अपने समग्र राष्ट्रीय हित में अमेरिका, रूस और चीन जैसी सभी प्रमुख शक्तियों के साथ मधुर संबंध चाहता है.

मलेशिया के अखबार ‘न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स’ के साथ साक्षात्कार में सिंह ने कहा, ‘भारत अपने लोगों की शांति एवं समृद्धि के हित में बातचीत के जरिए पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए कटिबद्ध है.’

भूटान में दक्षेस सम्मेलन के अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के साथ अपनी भेंट को याद करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों ने अपने अपने विदेश मंत्रियों और विदेश सचिवों को विश्वास बहाली और परस्पर सारोकार के सभी मुद्दों पर सारभूत बातचीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए तौर तरीके तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या वह निकट भविष्य में दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव में उल्लेखनीय कमी देख रहे हैं. {mospagebreak}

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यह साक्षात्कार उनकी मलेशिया यात्रा से पहले न्यू स्ट्रेट टाइम्स के साथ हुआ है. सिंह से जब पूछा गया कि भारत निर्गुट आंदोलन का प्रमुख पैरोकार रहा है ऐसे में क्या अमेरिका की ओर झुकाव के कारण उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधी में कोई तब्दीली आयी है, उन्होंने कहा, ‘हम किसी भी दिशा में झुक नहीं रहे. भारत की विदेश नीति हमारे सुविचारित राष्ट्र हित की अभिव्यक्ति है.’

उन्होंने कहा, ‘हम जिस वैश्वीकृत दुनिया में रहते हैं वहां अंतर-संबंध और अंतर-निर्भरता काफी बढ़ गयी है. अतएव हम सभी प्रमुख महाशक्तियों-अमेरिका, रूस, चीन, जापान के साथ मधुर संबंध चाहते हैं.’

अंतरराष्ट्रीय वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही मायने में अच्छी स्थिति में नहीं है और क्षितिज में अनिश्चितताएं हैं. उन्होंने कहा, ‘अतएव जिन उद्देश्यों के साथ जी-20 हुई, मुझे लगता है उन्हें साकार करने के लिए काफी कुछ किया जाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि अंतरष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में सुधार को काफी तेजी के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.

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