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अमेरिका ने किया भारत की सैन्य योजनाओं का विश्लेषणः विकीलीक्स

विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका ने ‘कोल्ड स्टार्ट’ कूट नाम वाली भारत की भावी सैन्य योजनाओं का विश्लेषण किया था.

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विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका ने ‘कोल्ड स्टार्ट’ कूट नाम वाली भारत की भावी सैन्य योजनाओं का विश्लेषण किया था.

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गार्जियन अखबार में छपी खबर के मुताबिक एक अमेरिकी संदेश में कहा गया, ‘मिशन का यह मानना है कि भारत को संभवत: मिश्रित परिणाम मिलेंगे. शुरुआती बढ़त के बावजूद भारतीय सेना को साजोसामान संबंधी कठिनाइयों और कुमुक की धीमी गति के चलते बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.’

भारत में अमेरिका के राजदूत टिम रोमर ने फरवरी में आगाह किया था कि भारत द्वारा ‘कोल्ड स्टार्ट’ की शुरुआत किए जाने से मामला ‘परमाणु हथियारों के इस्तेमाल’ तक जा सकता है.

इससे हिरोशिमा और नागासाकी के बाद विश्व में परमाणु हथियारों का पहला इस्तेमाल हो सकता है.

उन्होंने कहा था, ‘नि:संदेह भारतीय नेता यह महसूस करते हैं कि ‘कोल्ड स्टार्ट’ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुए बिना सीमित तरीके से पाकिस्तान को दंडित करने के लिए है लेकिन वे इसे लेकर आश्वस्त नहीं हो सकते कि पाकिस्तानी नेता इस तरह के हथियारों के इस्तेमाल में संयम बरतेंगे.’

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पाकिस्तान में मौजूद अमेरिकी राजनयिकों को बताया गया कि पाकिस्तान छोटे सामरिक परमाणु हथियार बनाने पर काम कर रहा है जिन्हें जंग के दौरान भारतीय सैनिकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके.

दैनिक द्वारा प्रकाशित एक संदेश के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा, ‘इस तरह के हथियारों के लिए विखंडनीय सामग्री के व्यापक भंडार की आवश्यकता है. सामरिक मत है कि पाकिस्तान एक बड़ी परमाणु ताकत बनने की दिशा में बढ़ रहा है जिसके लिए उसे भारी मात्रा में विखंडनीय सामग्री की जरूरत है.’

अमेरिका का एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी पाकिस्तान को लेकर लगातार आशंकित था.

{mospagebreak}लीक हुए एक अमेरिकी दस्तावेज के मुताबिक दक्षिण एशिया मामलों के राष्ट्रीय खुफिया अधिकारी पीटर लेवोय ने 2008 में निष्कर्ष पेश किया कि परमाणु संपन्न पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ‘खतरे’ में है और वह अगले कुछ सालों में पश्तून इलाकों से पूरी तरह नियंत्रण खो सकता है. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के एक तिहाई से अधिक लोग बेरोजगार हैं.

लेवोय ने कहा, ‘पाकिस्तान की आबादी कम शिक्षित है. देश के पास लोगों की सुविधाओं के लिए उर्जा और स्वच्छ जल का अभाव है.

कुछ महीने बाद अप्रैल 2009 में अमेरिकी अधिकारी एनी पैटरसन की आशंका कुछ कम हुई और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ‘असफल राष्ट्र’ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसके बावजूद हम मानते हैं कि पाकिस्तान के सामने खतरनाक चुनौतियां हैं. सरकार विदेशी तथा घरेलू आतंकी समूहों के हाथों हर रोज अधिक और अधिक क्षेत्रों को खो रही है एवं कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है.’

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लीक हुए एक संदेश के अनुसार भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर ने कहा कि यदि वर्तमान परिस्थितियों में भारतीय सेना ‘कोल्ड स्टार्ट’ के सिद्धांत को कार्यान्वित करती है तो इसके ‘मिश्रित परिणाम’ हासिल होंगे जिस पर देश में आम राय नहीं है और जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूरी तरह अंगीकार नहीं किया है.

रोमर के हस्ताक्षर वाले 16 फरवरी को लिखे गए एक संदेश में कहा गया ‘भारतीय सेना का ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत मिथक और वास्तविकता का मिश्रण है और हो सकता है कि यह आवश्यक तथा गंभीर संसाधन बाधाओं के चलते युद्ध के मैदान में कभी इस्तेमाल न हो लेकिन यह एक विकसति सामरिक हमला योजना है जिसकी घोषणा 2004 में की गई थी और जिसे संकट के दौरान 72 घंटे के भीतर कार्यान्वित किया जा सकता है.’

{mospagebreak}इसमें कहा गया, ‘कोल्ड स्टार्ट समग्र हमले या पाकिस्तान पर कब्जे की योजना नहीं है.’ संदेश में कहा गया ‘इसकी बजाय इसमें भारत पर पाकिस्तान से संबंधित आतंकी हमले की स्थिति में पाकिस्तानी अस्तित्व को खतरा पहुंचाए बिना या परमाणु युद्ध भड़काए बिना त्वरित समयबद्ध और निश्चित दूरी तक पाकिस्तानी क्षेत्र में घुसपैठ कर पाकिस्तान को तेजी से दंडित करने के लक्ष्य का आह्वान है.

संदेश में कहा गया ‘कोल्ड स्टार्ट की घोषणा 2004 में भाजपा नीत सरकार द्वारा की गई थी लेकिन मनमोहन सरकार ने इसे सार्वजनिक रूप से अंगीकार नहीं किया और पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर भारत सरकार की अनिश्चितता के चलते हो सकता है कि कोई भी सरकार भविष्य में इसे कार्यान्वित न करे.’

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इसमें कहा गया कि यदि भारत सरकार भारतीय सेना की वर्तमान क्षमताओं के बीच ‘कोल्ड स्टार्ट’ को लागू करती है तो अमेरिकी मिशन का सामूहिक तौर पर यह मानना है कि इसके मिश्रित परिणाम निकलेंगे.

संदेश में कहा गया ‘भारत सरकार नवम्बर 2008 के भीषण मुम्बई हमलों के बाद भी कोल्ड स्टार्ट लागू करने में विफल रही जिससे इसे किसी भी रूप में शुरू करने को लेकर भारत सरकार की इच्छा पर सवाल खड़े होते हैं.’

इसमें कहा गया ‘कोल्ड स्टार्ट के बारे में पाकिस्तानी 2004 से ही जानते हैं लेकिन इस जानकारी के बावजूद ऐसा नहीं लगा कि वे भारत के खिलाफ आतंकी हमले रोकना चाहते हैं. इस तथ्य से कोल्ड स्टार्ट की इस क्षमता पर सवाल उठता है कि इससे भारत के भीतर पाकिस्तान की शरारत को रोका जा सकता है.’

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