देश के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री पर लगा है अब तक के सबसे बड़े घोटाले का आरोप. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्री उनका बचाव करने में जुटे हों. चाहे वो वी नारायणसामी हों या फिर वर्तमान कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल. सरकार के ये मंत्री तो CAG को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.
अपनी ईमादारी का डंका पीटने वाले प्रधानमंत्री के जिम्मे रहे कोयला मंत्रलाय की कोयला आवंटन प्रक्रिया ही अब संदेह के घेरे में आ गई है. देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर कोयला खादानों के आवंटन में नीलामी की प्रक्रिया अपनाई गई होती तो देश के खजाने को 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपये का नुकसान नहीं उठाना पड़ता.
पहले तो 1 लाख 76 हजार करोड़ का 2जी घोटाला और अब उससे भी बड़ा 1 लाख 86 हजार करोड़ का कोयला घोटाला. लगता है जैसे यह सरकार घोटालों की जमीन पर बैठी है.
हालांकि सरकार ने कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि सीधे नामांकन के जरिए आवंटन से निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ.
सरकार ने कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में नीति पारदर्शी थी और उसमें कुछ गलत नहीं हुआ. कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, ‘कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए अपनाई गई नीति में खामी नहीं थी. कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए इससे पारदर्शी और नीति नहीं हो सकती थी क्योंकि 2004 में प्रतिस्पर्धी बोली की व्यवस्था ही नहीं थी.’
उधर विपक्ष को तो जैसे बैठे बिठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा मिल गया. इस मुद्दे पर संसद में जोरदार हंगामा भी हुआ.