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भारतीय महावाणिज्य दूत पर घरेलू कामगार से दुर्व्यवहार का आरोप

न्यूयार्क स्थित भारतीय महावाणिज्य दूत प्रभु दयाल पर अपनी एक पूर्व घरेलू कामगार के साथ कथित तौर पर दासों जैसा व्यवहार करने और अश्लील हरकतें करने का आरोप लगा है. इस आरोप को दयाल ने ‘पूरी तरह बकवास’ करार दिया है.

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न्यूयार्क में भारतीय महावाणिज्य दूत प्रभु दयाल
न्यूयार्क में भारतीय महावाणिज्य दूत प्रभु दयाल

न्यूयार्क स्थित भारतीय महावाणिज्य दूत प्रभु दयाल पर अपनी एक पूर्व घरेलू कामगार के साथ कथित तौर पर दासों जैसा व्यवहार करने और अश्लील हरकतें करने का आरोप लगा है. इस आरोप को दयाल ने ‘पूरी तरह बकवास’ करार दिया है.

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दयाल की पूर्व घरेलू कामगार संतोष भारद्वाज ने उनके खिलाफ श्रमिक कानूनों के उल्लंघन संबंधी मुकदमा दायर किया है. संतोष ने दयाल पर आरोप लगाया है कि उससे 300 डॉलर प्रति माह के ऐवज में घंटों काम कराया गया, उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उसे स्टोर में सुलाया जाता था.

उसने दयाल पर उसके साथ कथित तौर पर अश्लील हरकतें करने का भी आरोप लगाया है.

चार बच्चों की मां संतोष ने अपनी अपील में कहा है, ‘मैंने जो भी काम किया, मैं उसके ऐवज में अपना मेहनताना और जो अन्याय मेरे साथ हुआ, उसका मुआवजा चाहती हूं. मैं अपना पासपोर्ट भी वापस चाहती हूं.’

संतोष का प्रतिनिधित्व करने वाली लीगल ऐड सोसाइटी ने एक वक्तव्य में उसके हवाले से कहा है, ‘दयाल परिवार ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया.’ हालांकि दयाल ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में कहा, ‘ये पूरी तरह बकवास है. ये मेरी छवि खराब करने और नुकसान पहुंचाने के लिए बोला गया झूठ है.’

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संतोष के मुताबिक, उससे कहा गया था कि उसे अतिरिक्त काम करने पर 10 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से अतिरिक्त राशि दी जाएगी, लेकिन इसकी बजाए उसे प्रति घंटे एक डॉलर से भी कम वेतन दिया गया और उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया. उसने आरोप लगाया है कि एक बार दयाल ने उससे कहा कि अगर वह दयाल का ‘मसाज’ करेगी, तो ही उसे अतिरिक्त राशि दी जाएगी.

वक्तव्य के मुताबिक, ‘संतोष ने इसे अश्लील संदेश के तौर पर लिया. इस घटना के बाद संतोष ने दयाल का घर छोड़ दिया और लौट कर नहीं गई.’ दयाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘इस बात का सवाल ही नहीं उठता. मैंने कभी मसाज की बात नहीं कही, मैं इसे पूरी तरह खारिज करता हूं. मुझे मसाज की जरूरत नहीं है. मैं फिट हूं.’

दयाल के मुताबिक, जनवरी 2010 में उन्होंने संतोष को दूतावास से बाहर काम करने की अनुमति नहीं दी क्योंकि उसकी वीजा की शर्तों में यह शामिल नहीं था, जिसके बाद वह लापता हो गई.

उन्होंने कहा, ‘वह ज्यादा धन कमाना चाहती थी, लेकिन यह नियमों के विपरीत था, इसलिए मैंने इसकी अनुमति नहीं दी.’ दयाल ने कहा कि संतोष स्टोर में नहीं सोती थी, बल्कि मैनहट्टन स्थित दूतावास की इमारत के पांचवे माले पर उसके लिए कमरा था, जिसमें टीवी और फोन भी था.

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दयाल ने कहा कि संतोष को अमेरिका में वेतन मिलने के साथ ‘भारत में उसके बैंक खाते में हर महीने 14,000 रुपये जमा कराए जाते थे.’ उन्होंने कहा कि उससे केवल छह घंटे काम कराया जाता था और जब वह मेहमानों के लिए खाना बनाती थी, तो उसे अतिरिक्त राशि दी जाती थी. उसका पासपोर्ट रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने संतोष के पूरे परिवार के पासपोर्ट ‘सुरक्षित रखने’ के लिए रख लिए थे.

दयाल, उनकी पत्नी और पुत्री के खिलाफ न्यूयार्क की यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शिकायत दर्ज हुई. उन पर आरोप लगा है कि वह संतोष को भारत से बेहतर कार्य क्षेत्र का झूठा वादा करके लाए, पर यहां उससे लगभग एक साल तक जबर्दस्ती काम कराया.

दूतावास के एक अन्य अधिकारी से पूछा गया कि संतोष के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘परिवार के एक सदस्य की तरह.’ उन्होंने कहा कि संतोष ने कभी किसी दूसरे अधिकारी से इस बारे में शिकायत नहीं की.

हालांकि उन्होंने कहा कि संतोष दूतावास के कार्यालय में कभी-कभी ही दिखाई देती थी.

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