अमेरिकी सरकार की ऋण साख रेटिंग घटने से फैली चौतरफा अफरातफरी के बीच सरकार ने उद्योग एवं कारोबारी जगत को आश्वस्त करते हुये कहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियाद काफी मजबूत है और मौजूदा स्थिति से सामने आने वाले किसी भी संकट से निपटने को वह तैयार है.
अमेरिकी साख को लेकर दुनियाभर में बढ़ी चिंताओं के बीच अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर चिंतायें बढ़ी हैं. निर्यात कारोबार से लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश घटने की चिंता है, लेकिन इस अफरातफरी में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक सुनहरी किरण भी इसमें दिखाई देती है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ने से विश्व बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं विशेषकर कच्चे तेल के दाम में गिरावट की शुरुआत हुई है जो कि निश्चित ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये राहत की बात है.
सरकार ने जहां एक तरफ उद्योगों को संदेश दिया है कि आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया जायेगा वहीं रिजर्व बैंक ने उद्योगों को आश्वस्त किया है कि बाजार में नकदी की तंगी नहीं होने दी जायेगी और किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति के सामने आने पर वह तुरंत कदम उठायेगा.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने चिंतित उद्योग और निराश शेयर बाजार को आश्वस्त करते हुये कहा ‘हमारे संस्थान काफी मजबूत हैं और मौजूदा परिस्थिति में खड़ी होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार है.’ शेयर बाजार ने वित्त मंत्री के आश्वासन पर गौर किया और बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक जो कि शुरुआती कारोबार में 550 अंक तक लुढ़क गया था कारोबार की समाप्ति तक इसमें कुछ सुधार आया और यह 316 अंक की गिरावट लेकर ही बंद हुआ.
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बताते हुये कहा कि यह घरेलू मांग से चलती है, अमेरिकी रेटिंग कम होने के बावजूद जल्द ही हमारे बाजार स्थिर हो जायेंगे. मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कारोबार की शुरुआत में शेयर बाजार में आई गिरावट को ‘घबराहट में हुई प्रतिक्रिया’ बताया और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार यथावत बनी रहेगी और इसके लिये कोई नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.
घरेलू शेयर बाजार सोमवार को शुरू में तेजी गिरावट के बाद बाद में कुछ संभला, जबकि सोना 460 रुपये चढ़कर 25,230 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया. बसु ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ऋण संकट और साख दर में कमी से उत्पन्न मौजूदा परिस्थितियों में एक उम्मीद की किरण भी नजर आती है और वह यह कि विश्व बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं खासकर कच्चे तेल के दाम नीचे आने शुरू हुये हैं.
यदि यह गिरावट जारी रहती है तो मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा. बहरहाल, उद्योग जगत ने स्थिति को भांपते हुये प्रोत्साहन पैकेज के लिये मांग उठानी शुरू कर दी. एसोसियेटिड चैंबर्स ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की गति धीमी पड़ने से भारत में ज्यादा प्रभाव वाले क्षेत्र में फिर से प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठेगी.’
एक नये घटनाक्रम में एस एण्ड पी ने कहा है कि आर्थिक सुस्ती का असर भारत सहित एशियाई देशों पर भी पड़ सकता है. हालांकि, एक अन्य एजेंसी मूडीज ने कहा है कि वह अमेरिका के लिये अपनी ‘एएए’ रेटिंग को लेकर अभी भी पूरी तरह आश्वस्त है और इसमें तभी कोई बदलाव पर विचार करेगा जब अमेरिका खर्चों में कटौती के प्रयासों में सफल नहीं होगा.
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