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थरूर बोले, भारतीय राष्ट्रवाद एक दुर्लभ पशु

लेखक एवं सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद एक दुर्लभ पशु है और भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म की अनुपस्थिति के विचार के खिलाफ धर्मों का एक प्राचुर्य है.

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शशि थरूर
शशि थरूर

लेखक एवं सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद एक दुर्लभ पशु है और भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म की अनुपस्थिति के विचार के खिलाफ धर्मों का एक प्राचुर्य है.

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थरूर ने कहा, 'भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म की अनुपस्थिति के रूप में धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी सिद्धांत के खिलाफ धर्मों का एक प्राचुर्य है.'

थरूर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित पांचवा वार्षिक व्याख्यान देने पहुंचे थे. व्याख्यान का शीर्षक था 'हू इज एन इंडियन? अ नेशन ऑफ माइनॉरिटी'.

भारत की विविधता का विवरण प्रस्तुत करते हुए थरूर ने कविवर रविंद्रनाथ टैगोर का उद्धरण पेश किया, 'भारत कइयों को गले लगाने वाली भूमि है.' थरूर ने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद एक दुर्लभ पशु है.

उन्होंने कहा कि एक तमिल ब्राह्मण एक जाट के साथ अपना धर्म बांट सकता है, लेकिन रूप-रंग, भाषा, भोजन और संस्कृति के संदर्भ में नहीं. थरूर के मुताबिक, 'धर्म, क्षेत्र, जाति और जातीयता भारत को बांटते हैं.'

थरूर ने कहा कि हिंदुत्व बहुसंख्यक की गारंटी नहीं है, क्योंकि हो सकता है जो व्यक्ति जिस मुहल्ले में रह रहा हो, वहां उसकी जाति न हो. उन्होंने कहा कि बहुलतावाद देश की प्रकृति से पैदा होता है.

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कांग्रेस सांसद ने कहा कि अल्पसंख्यकों की हिफाजत सरकारों की एक प्राथमिकता होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों पर कोई कानून न होने को लेकर नाखुशी जाहिर की, जो सामाजिक संघर्ष के कारण अपने घरों को छोड़ कर भाग गए हैं.

थरूर ने कहा, 'देश में ऐसे लगभग 10 लाख लोग हैं, लेकिन हमें बेहतर आंकड़ा तैयार करने की आवश्यकता है. आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों पर कोई कानून न होना एक कमी है.'

 

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