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औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में सुस्ती, अगस्त में 4.1 फीसदी रही

औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में पिछले साल की तुलना में लगातार दूसरे महीने गिरावट का रुख रहा.

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औद्योगिक उत्पादन
औद्योगिक उत्पादन

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औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में पिछले साल की तुलना में लगातार दूसरे महीने गिरावट का रुख रहा. अगस्त में यह सिर्फ 4.1 प्रतिशत रही. हालांकि, माना जा रहा है कि इसके बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की नीति से पीछे हटने की उम्मीद कम ही है क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी उच्चस्तर पर बनी हुई है.

अगस्त की वृद्धि दर को इस लिहाज से अच्छा माना जा सकता है क्योंकि जुलाई महीने में यह 3.8 प्रतिशत (3.3 प्रतिशत से संशोधित) और पिछले साल अगस्त महीने में 4.5 प्रतिशत रही थी. जुलाई और अगस्त 2011 दोनों महीनों में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पिछले वर्ष इन महीनों में हासिल वृद्धि के मुकाबले कम रही है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि अप्रैल-अगस्त की अवधि में 5.6 प्रतिशत तथा पिछले साल समान अवधि में 8.7 प्रतिशत रही थी.

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इसके अनुसार अगस्त, 2011 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर महज 4.5 प्रतिशत रही जो बीते साल अगस्त में 4.7 प्रतिशत थी. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में विनिर्माण क्षेत्र 75 प्रतिशत से अधिक योगदान करता है.

हालांकि, इस बात की संभावना नहीं है कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटने के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की अपनी नीति पर विराम लगाएगा. मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने के प्रयास के तहत रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद ब्याज दरों में 12 बार वृद्धि कर चुका है. मुद्रास्फीति अगस्त में 9.8 प्रतिशत थी.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने आज कहा कि दरों में और वृद्धि का केंद्रीय बैंक का फैसला मुद्रास्फीतिक दबाव पर निर्भर करेगा. आर्थिक मोर्चे पर मंदी का असर दुनिया भर विशेषकर पश्चिमी देशों पर पड़ा है. भारत अभी तक इससे थोड़ा बहुत बचा हुआ है और अप्रैल-जून की अवधि में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त, 2011 में खनन उत्पादन 3.4 प्रतिशत तक घट गया, जबकि बीते साल की इसी अवधि में खनन उत्पादन की वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत थी.

समीक्षाधीन माह में मशीनरी बनाने वाले उद्योग की वृद्धि दर भी घटकर 3.9 प्रतिशत पर आ गई जबकि अगस्त, 2010 में इस क्षेत्र ने 4.7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की थी. वहीं, अगस्त में टिकाऊ उपभोक्ता सामान बनाने वाले क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 4.6 प्रतिशत पर आ गई जो बीते साल अगस्त में 8.1 प्रतिशत थी. हालांकि, समीक्षाधीन माह में बिजली उत्पादन की वृद्धि दर में सुधार दर्ज किया गया और यह 9.5 प्रतिशत रही. बीते साल अगस्त में बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर महज एक प्रतिशत थी.

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फिच रेटिंग के निदेशक देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, बुनियादी सामान क्षेत्र तथा मध्यवर्ती सामान क्षेत्र की नरम वृद्धि निकट भविष्य में आद्योगिक वृद्धि दर कमजोर रहने का संकेत दे रही है. उद्योग संगठन फिक्की ने आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि मौद्रिक नीतियों को कड़ा किए जाने के कारण पिछले कुछ महीनों में निवेश मांग प्रभावित हुई है.

फिक्की ने कहा है, हमारा मानना है कि आने वाले महीने में औद्योगिक क्षेत्र तथा निवेश की वृद्धि नरम रहेगी.

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