सरकार को भी अब यह लगने लगा है कि उसके और रिजर्व बैंक के भरसक प्रयास के बावजूद मुद्रास्फीति की दर ऊंची बनी रहेगी. वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि मूल्यवृद्धि रोकने के सरकार और रिजर्व बैंक के निरंतर प्रयास के बावजूद चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति की दर 6-7 प्रतिशत से कम नहीं रहेगी.
मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, 'हम मुद्रास्फीति का मुकाबला कर रहे हैं. रिजर्व बैंक द्वारा ही रेपो तथा रिवर्स रेपो दर में मंगलवार को की गई वृद्धि इसका मजबूत संकेत है लेकिन हमें ध्यान में रखना होगा कि साल के अंत तक मुद्रास्फीति शायद 6-7 प्रतिशत से कम नहीं हो.'
रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर उद्योग जगत, बाजार तथा बैंकों को करारा झटका दिया था. जून महीने की सकल मुद्रास्फीति 9.44 प्रतिशत रहने पर चिंता जताते हुए प्रणव ने कहा, 'हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति जो फरवरी 2010 में 22 प्रतिशत थी फिलहाल नरम हुई है, लेकिन फिर भी मौजूदा आठ प्रतिशत की खाद्य मुद्रास्फीति अस्वीकार्य है.' उन्होंने स्वीकार किया कि घरेलू तथा वैश्विक कारकों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां खड़ी हुई हैं, लेकिन साथ उन्होंने कहा कि वह निराशा में विश्वास नहीं करते.
विश्वास से भरे मुखर्जी ने कहा, 'जब हालात विकट हों तो सख्त होना पड़ता हैं. मैं निराशा में विश्वास नहीं करता. परेशानियों पर हमें खुद ही पार पाना है, कोई और यह काम नहीं करेगा.' उन्होंने कहा, औद्योगिक उत्पादन में कुछ नरमी आई है तो ब्याज के लिहाज से संवेदनशील कुछ क्षेत्रों में वृद्धि दर कमजोर हुई है, फिर भी उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने में सक्षम होगी.'
काले धन के ज्वलंत मुद्दे की ओर संकेत करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार इस अपराध पर काबू पाने को प्रतिबद्ध है. 'काले धन के खिलाफ सतत प्रयास जारी हैं. इस समस्या से लड़ने के लिए प्रशासनिक तथा कानूनी दोनों स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं.'