केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि विकसित देशों द्वारा मंदी के बाद अपनाई गई कुछ प्रतिकूल नीतियां देश में महंगाई के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं.
मुखर्जी ने बैंक ऑफ इंडिया के 106वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'भारत में महंगाई का कारण कुछ हद तक विकसित देशों में मंदी से निपटने के लिए अपनाई जा रही नीतियां हैं.'
मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका से शुरू हुई मंदी भूमंडलीकरण के कारण पूरी दुनिया में फैल गई. उन्होंने कहा, 'हम भूमंडलीकृत दुनिया में जी रहे हैं. भूमंडलीकरण के अपने फायदे हैं, लेकिन इसके साथ चुनौतियां भी हैं. इन्हीं चुनौतियों में एक थी वैश्विक आर्थिक मंदी.'
उन्होंने कहा कि मंदी का असर अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और कई देश अभी मंदी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं.
मुखर्जी ने आर्थिक मंदी की चुनौती से निपटने के लिए साहसिक और नए कदम उठाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'यह उथल-पुथल भरा समय है. हमें अपने हर कदम पर गौर करना चाहिए. लेकिन इसके कारण हमें साहसिक और नए कदम उठाने से रुकना भी नहीं चाहिए.'
मुखर्जी ने बढ़ती ब्याज दरों को देखते हुए बैंकों से अपने ऋण की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए कहा. उन्होंने कहा, 'महंगाई दर कम करने की कोशिश के कारण ब्याज दर ऊंची हो गई. बैंकों को अपने ऋण की गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखनी चाहिए.'