महंगाई दर में मार्च, 2011 तक कमी की भविष्यवाणी कर रहे आर्थिक पंडितों के सारे अनुमान धरे रह गए. जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार सकल थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च 2011 में चढ़ कर 8.98 प्रतिशत हो गयी जबकि रिजर्व बैंक ने इसके 8 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया था.
विनिर्मित वस्तुओं और साग-सब्जियों की महंगाई से मुद्रास्फीति को बल मिला है जबकि रिजर्व बैंक ने बाजार में सकल मांग पर अंकुश लगाने के लिए पिछले मार्च से लगातार कर्ज महंगा करने के नीतिगत कदम उठाता रहा है.
फरवरी, 2011 में मुद्रस्फीति 8.31 प्रतिशत थी. यह लगातार दूसरा महीना है जब सकल मुद्रास्फीति में वृद्धि दर्ज की गयी है.
महंगाई दर बढ़ने से 3 मई को पेश की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि किये जाने की संभावना बढ़ गयी है. पर इसका असर आर्थिक वृद्धि और रोजगार की संभावनाओं पर पड़ सकता है.
फरवरी में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर मात्र 3.6 प्रतिशत रह गयी जबकि इससे एक माह पूर्व यह 3.7 प्रतिशत थी. औद्योगिक वृद्धि में गिरावट को ब्याज दरों में वृद्धि के साथ साथ तुलनात्मक आधार का प्रभाव भी बताया क्योंकि पछले वर्ष इसी दौर में औद्योगिक वृद्धि काफी ऊंची थी.
जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दूध, सब्जी, फल एवं विनिर्मत उत्पादों के दाम बढ़ने के कारण महंगाई दर बढ़ी है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत चढ़ने से ईंधन लागत में वृद्धि के कारण भी मुद्रास्फीति चढ़ी है. इसके अलावा खाद्य मुद्रास्फीति दो अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 8.28 प्रतिशत रही. थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की कीमत की हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत है.
प्राथमिक वस्तुओं (खाद्य, गैर-खाद्य वस्तु तथा खनिज) की कीमत में सालाना आधार पर 12.96 प्रतिशत बढ़ी है.
वार्षिक आधार पर खाद्य वस्तुओं की कीमत 9.47 प्रतिशत, अनाज 3.96 प्रतिशत, चावल और गेहूं का भाव क्रमश: 2.69 प्रतिशत और 0.75 प्रतिशत चढ़ा. दाल का भाव 4.17 प्रतिशत ऊंचा रहा.
मार्च महीने में ईंधन और बिजली की दरें एक वर्ष पूर्व की तुलना में 12.92 प्रतिशत ऊंची थीं.
आंकड़ों के अनुसार विनिर्मित उत्पाद समूह का सूचकांक सालाना आधार पर 6.21 प्रतिशत बढ़ा. थोक मूल्य सूचकांक में विनिर्मित वस्तुओं का भारांश 64.9 प्रतिशत है.
इस बीच, थोक मूल्य सूचकांक के संशोधित आंकड़ों के अनुसार जनवरी माह में सकल मुद्रास्फीति 9.35 प्रतिशत रही. प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर यह 8.23 फीसद रहने का अनुमान जताया गया था.