आम आदमी को कम से कम छह माह तक महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. सरकार ने कहा कि महंगाई की दर दिसंबर तक 9 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी. फिलहाल मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत से ऊपर चल रही है.
वित्त मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है, ‘इस साल के अंतिम महीने में ही महंगाई का आंकड़ा नीचे आने की उम्मीद है. अगस्त-दिसंबर, 2011 के दौरान महंगाई की दर कमोबेश उच्च स्तर पर बनी रहेगी.’ जून माह में मुद्रास्फीति 9.44 प्रतिशत के स्तर पर थी, यह भारतीय रिजर्व बैंक के 5-6 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से कहीं ऊंची है.
नोट में कहा गया है कि वर्तमान में महंगाई की वजह मौसमी प्रभाव तथा कच्चे तेल और विनिर्मित उत्पादों के दामों में तेजी है. सरकार ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर महंगाई को संतोषजनक स्तर पर लाने के लिए काम कर रही है.
हालांकि, महंगाई के बोझ को झेलने के बारे में कोई परिभाषा नहीं है, हम निकट भविष्य में महंगाई की दर को 6 से 6.5 प्रतिशत के स्तर पर लाना चाहते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर अंकुश के लिए नीतिगत दरों में मार्च, 2010 के बाद से दस बार बढ़ोतरी कर चुका है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक 26 जुलाई को मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में दरों में एक और वृद्धि कर सकता है.
वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि मार्च, 2012 तक महंगाई की दर घटकर 6 से 7 प्रतिशत के दायरे में आ जाएगी. अर्थव्यवस्था में जरूरत से ज्यादा तेजी के बारे में वित्त मंत्रालय के नोट में कहा गया है, ‘हम राजकोषीय और मौद्रिक दोनों मोर्चों पर रुख कड़ा कर रहे हैं. इससे मांग पक्ष का दबाव दूर होगा.’ इसमें कहा गया है कि आपूर्ति पक्ष के दबाव को कम करने से मुद्रास्फीतिक दबाव भी कम होगा.
वित्त मंत्रालय ने हाल में डीजल, केरोसिन और एलपीजी के दामों में बढ़ोतरी को उचित ठहराते हुए कहा है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो इससे राजकोषीय घाटा और बढ़ता जिससे महंगाई की दर में इजाफा होता.
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2011-12 की अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा था कि महंगाई की दर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में औसतन 9 प्रतिशत पर रहेगी और मार्च, 2012 तक घटकर 6 प्रतिशत पर आ जाएगी. वित्त मंत्रालय ने आगे कहा कि महंगाई के कारण में भी बदलाव आया है. ‘पहले खाद्य मुद्रास्फीति चिंता की वजह थी. अब यह गैर खाद्य वस्तुओं की वजह से है.’
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