पिछले कई माह से बढ़ती महंगाई की वजह से चौतरफा आलोचनाओं को झेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माना कि ऊंची मुद्रास्फीति डेढ़ साल से समस्या बनी हुई है पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य वस्तुओं, तेल कीमतों में उछाल के चलते यह पूरी तरह काबू में नहीं आ सकी है.
प्रधानमंत्री ने हालांकि भरोसा जताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से कुल मुद्रास्फीति इस वित्त वर्ष के अंत तक सात प्रतिशत पर आ जाएगी. उन्होंने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति चिंता की वजह है. पर हाल में स्थिति सुधरी है. मुझे उम्मीद है कि आगे स्थिति में और सुधार होगा.’
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, ‘मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो इस बात को स्वीकार करेगा कि पिछले 18 माह से महंगाई समस्या बनी हुई है. पर इसके कारण हमारी नियंत्रण से बाहर हैं. सबसे पहले 2009 में सूखा पड़ा. उसके बाद प्राकृतिक आपदाओं की वजह से सब्जियों और प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ.’ {mospagebreak}
पिछले साल दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 18 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच गई थी, जो 12 फरवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान घटकर 11.49 प्रतिशत पर आ गई है. सिंह ने कहा कि कुछ जिंसों पर सरकार का नियंत्रण है और सरकार इनकी कीमतांे को नियंत्रित कर सकती है. ‘जहां तक अनाज के दामों की बात है, तो भारतीय खाद्य निगम और अन्य सरकारी एजेंसियों के माध्यम से हमारे पास इनका स्टाक है. हम अनाज, गेहूं और चावल की कीमतों को स्थिर करने में सफल रहे हैं.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि समस्या सब्जियों, मांस और दूध के दामों को लेकर है. इनमें से कुछ चीजों के दाम सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति यह है कि महंगाई को इस तरह से काबू किया जाए कि वृद्धि दर और रोजगार प्रभावित न होने पाए. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि यदि महंगाई पर नियंत्रण के लिए हम हल्का तरीका अपनाते तो हम ऐसी प्रक्रिया को समाप्त कर देते जो हमारे युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का एकमात्र जरिया है. सिंह ने कहा कि हमें महंगाई पर अंकुश के साथ रोजगार भी बचाना था.
उन्होंने कहा, ‘कई बार आम लोगों को महसूस होता होगा कि हम महंगाई को लेकर चिंतित नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि दुनिया में खाद्य बाजार की स्थिति खराब हुई है. तिलहन तथा वनस्पति तेलों के दाम विश्व बाजार में बढ़े हैं, जिनपर भारत का नियंत्रण नहीं है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सब समस्याओं के बीच भारत में कृषि मूल्य कुल मूल्यढांचे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. ‘महंगाई पर हम सिर्फ कृषि उपज को बढ़ाकर अंकुश पा सकते हैं.’