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नौसैन्य प्रतिष्ठान के पास वर्ली इमारत में फ्लैटों की बिक्री पर अंतरिम रोक

बम्बई उच्च न्यायालय ने मध्य मुम्बई में एक नौ सैन्य प्रतिष्ठान के पास स्थित 18 मंजिला एक इमारत को लेकर नौ सेना की आपत्ति के बाद गुरुवार को इसके फ्लैटों की आगे बिक्री तथा क्रेताओं के इनमें रहने पर अंतरिम स्थगन लगा दिया.

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बम्बई उच्च न्यायालय ने मध्य मुम्बई में एक नौ सैन्य प्रतिष्ठान के पास स्थित 18 मंजिला एक इमारत को लेकर नौ सेना की आपत्ति के बाद गुरुवार को इसके फ्लैटों की आगे बिक्री तथा क्रेताओं के इनमें रहने पर अंतरिम स्थगन लगा दिया.

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नौसेना ने अक्तूबर, 2010 में उच्च न्यायालय में आवेदन दायर कर वर्ली स्थित इमारत ‘हरसिद्धि’ को गिराने को गिराने का अनुरोध किया था, क्योंकि निर्माण से पहले इसके लिए पश्चिमी नौसैन्य कमान के अधिकारियों से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लिया गया. नौसेना की ओर से पेश हुए वकील दिनेश शाह ने कहा, ‘‘इमारत नौसैन्य प्रतिष्ठान आईएनएस त्राता से महज 57 मीटर दूर है. प्रतिष्ठान के एक हिस्से में संवेदनशील मिसाइलें तथा लांचर रखे जाते हैं. राज्य सरकार के नियमों के अनुसार प्रतिष्ठान के 300 मीटर के दायरे में किसी निर्माण के लिए नौसेना से एनओसी लेने की आवश्यकता होती है.’’

न्यायमूर्ति डीके देशमुख और न्यायमूर्ति एनडी देशपांडे की पीठ ने इमारत के फ्लैटों की आगे बिक्री पर अंतरिम स्थगन लगाते हुए बिल्डर को निर्देश दिया कि वह गगनचुंबी इमारत में फ्लैट खरीद चुके वर्तमान सभी लोगों की सूची पेश करे. नौसेना प्रतिष्ठान के पास हरसिद्धि के अलावा झुग्गी पुनर्वास अधिनियम (एसआरए) योजना के तहत सात मंजिला एक और इमारत का निर्माण किया गया है.{mospagebreak}

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याचिका में कहा गया है, ‘‘सितम्बर 2008 में शहरी विकास विभाग ने एसआरए को पत्र जारी करके उसे कार्य बंद करने का नोटिस जारी करने को कहा था. एक महीने बाद एसआरए द्वारा नोटिस जारी होने के बाद बावजूद निर्माण कार्य नहीं रुका.’’

नौसेना ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि राजश्री कंस्ट्रक्शंस और डेवलपर पृथ्वी कॉरपोरेशन की एसआरए के साथ मिलीभगत है और उनकी कुछ ऐसे शक्तिशाली व्यक्तियों से साठगांठ है, जो एसआरए प्रशासन पर प्रभाव जमाने में सक्षम हैं.

याचिका में कहा गया है, ‘‘नौसैनिक अड्डे आईएनएस में प्रक्षेपास्त्र और लांचर रखे जाते हैं. इसके अलावा यहां पर देश की सुरक्षा और रक्षा से संबंधित संवेदनशील गतिविधियां संचालित होती हैं.’’ याचिका में कहा गया है कि ऊंची इमारत से नौसैनिक अड्डे और उसकी गतिविधियां बेरोक-टोक देखी जा सकती हैं. नौसेना ने इस भूमि को सेना से वर्ष 1964 में खरीदा था. मामले की अगली सुनवायी दो सप्ताह बाद होगी.

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