इशरत जहां मामले में एक और मोड़ आ गया है. एसआईटी ने हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट को दाखिल कर दी है जिसमें बताया गया है कि यह एनकाउंटर फर्जी था. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि मुठभेड़ का समय और मौत का समय अलग-अलग है.
एसआईटी की रिपोर्ट गुजरात सरकार के लिए सिरदर्द से कम नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार यह सारा मामला फर्जी था. रिपोर्ट में इस मुठभेड़ पर कई सवाल उठाए गए हैं. इसके बाद अब नये सिरे से एफआइआर दर्ज की जाएगी और जांच नये एफआइआर के अनुसार होगी.
गौरतलब है कि मुंबई की लड़की इशरत जहां तथा तीन अन्य की मुठभेड़ में हुई मौत के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने 18 नवंबर को गुजरात उच्च न्यायालय को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी. 7 अक्तूबर को न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की खंडपीठ ने एसआईटी को अंतिम रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये थे.
एसआईटी से जुड़े सूत्रों ने बताया था कि रिपोर्ट में पुलिस मुठभेड़ की प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है. गौरतलब है कि अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने 15 जून 2004 को एक मुठभेड़ में कॉलेज जाने वाली 19 वर्षीय इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली राणा तथा जीशान जौहर को मार गिराया था. अपराध शाखा ने दावा किया था कि लश्कर ए तैयबा के ये चार सदस्य मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने के मिशन पर आये थे.
इस मुठभेड़ मामले की जांच की उच्च न्यायालय सीधे निगरानी कर रहा था. अदालत ने पिछले वर्ष विशेष जांच दल का गठन किया था ताकि मुठभेड़ की वास्तविकता का पता लगाया जा सके. इशरत की मां शमीमा कौसर तथा प्रणेश के पिता गोपीनाथ पिल्लै की याचिकाओं में मुठभेड़ के बारे में पुलिस के दावे पर सवाल उठाये गये थे.