गुजरात हाई कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वो साल 2004 में हुए इशरत जहां मुठभेड़ की जांच करे. इस फर्जी मुठभेड़ मामले में इशरत जहां के साथ तीन अन्य लोगों को मार गिराया गया था. इस आदेश के अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि गुजरात पुलिस पीड़ितों को विश्वास नहीं दिला सकी है.
कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को निर्देश दिया है कि वह मामले में एक नई प्राथमिकी दर्ज करे. न्यायमूर्ति जयंत पटेल और अभिलाषा कुमारी की पीठ ने एसआईटी प्रमुख आर आर वर्मा से कहा कि वह दो हफ्तों के भीतर एक नई प्राथमिकी दर्ज करें और मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सुपुर्द करें.
कोर्ट ने यह भी माना कि इस मामले को विशिष्ट माना जाना चाहिए जिसके कई राष्ट्रीय पहलू हैं.
दूसरी तरफ, उच्च न्यायालय ने सीबीआई को भी आदेश दिया कि वह गुजरात पुलिस के उन दावों की जांच करे जिनमें कहा गया था कि इशरत और तीन अन्य लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी थे और वे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे.
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले को गुजरात पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और एसआईटी को नहीं सौंपने के पीछे कुल बारह कारण गिनाए. राज्य पुलिस में विश्वास नहीं जताते हुए न्यायालय ने कहा, ‘जो एजेंसी इस मामले की जांच करे वह पीड़ितों को विश्वास दिला सके और पीड़ितों के बीच उसकी साख भी हो. इसलिए, हमने यह पाया है कि इस मामले को राज्य पुलिस को नहीं सौंपा जाए.’ एसआईटी को यह मामला नहीं सौंपने के पीछे न्यायालय ने इसके सदस्यों के बीच के मतभेदों और आगे की जांच की अनिच्छा को जिम्मेदार ठहराया.
इसके अलावा एनआईए के नाम पर अपनी सहमति नहीं देने के पीछे न्यायालय ने इसके अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामलों और इसके सामथ्र्य का हवाला दिया.
गौरतलब है कि हाल में एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही न्यायालय ने कहा था कि इशरत जहां और तीन अन्य की मुठभेड़ फर्जी थी.
एसआईटी प्रमुख आर आर वर्मा ने कहा, ‘गुजरात उच्च न्यायालय ने एसआईटी को यह पता लगाने का कार्य दिया था कि यह मुठभेड़ असली थी या फर्जी. एसआईटी ने पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना काम किया है. न्यायालय ने आदेश दिया है कि आगे की जांच सीबीआई द्वारा की जाएगी और हम इसका सम्मान करते हैं.’