अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति (आईसीआरसी) ने वर्ष 2005 में भारत में अमेरिका के राजदूत के समक्ष कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर चिंता जाहिर की थी और बंदीगृहों में यातनाएं दिये जाने का जिक्र किया था, लेकिन कहा था कि हालात नब्बे के दशक से बेहतर हैं.
नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के गोपनीय संदेश के खुलासे के अनुसार, रेडक्रॉस ने जोर दिया कि वह अमेरिका सरकार से कोई कदम उठाने को नहीं कह रहा लेकिन वह चाहता है कि अगर भारत सरकार के साथ संबंध नहीं सुधरते हैं तो भविष्य में इस बारे में समर्थन दिया जाये.
विकीलीक्स ने इस संदेश का खुलासा किया है. छह अप्रैल 2010 के इस संदेश पर भारत में अमेरिका के तत्कालीन राजदूत डेविड मलफोर्ड के हस्ताक्षर हैं. इस संदेश को अमेरिकी मिशन के तत्कालीन उप प्रमुख रॉबर्ट ब्लेक ने गोपनीय श्रेणी में रखा था जो अब दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक मंत्री हैं. अमेरिका ने विकीलीक्स पर गोपनीय संदेशों को चुराने का आरोप लगाया है लेकिन उसने इन संदेशों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने या इसका खंडन करने से इनकार कर दिया है.
विकीलीक्स ने रेडक्रॉस की ओर से जानकारी देने वाले व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं किया है. इस व्यक्ति ने रिपोर्ट दी थी कि भारत सरकार के साथ रेडक्रॉस की हालिया बातचीत में अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति नब्बे के दशक की तुलना में काफी बेहतर है.
गोपनीय संदेश के मुताबिक, ‘सुरक्षा बल अब आधी रात को पूरे गांव को नहीं जगाते और ग्रामीणों को अंधाधुंध तरीके से हिरासत में नहीं लेते जैसा नब्बे के दशक के अंत तक होता था.’ रिपोर्ट देने वाले रेडक्रॉस के अधिकारी ने कहा कि चिकित्सकों और पुलिस का भी खुला रवैया रहा. उन्होंने कहा कि 10 वर्ष पहले कोई 300 बंदीगृह थे जिनकी संख्या अब ‘काफी कम’ रह गयी है.{mospagebreak}
इन सुधारों को स्वीकार करते हुए अधिकारी ने कहा कि अधिकारियों की मौजूदगी में होने वाली पूछताछ के दौरान खराब व्यवहार और प्रताड़ना जैसी समस्याएं अब भी हैं. रेडक्रॉस इस मुद्दे को भारत सरकार के साथ 10 वर्ष से भी अधिक समय से उठा रहा है.
अधिकारी ने कहा कि रेडक्रॉस को कभी भी ‘कार्गो बिल्डिंग’ तक पहुंच नहीं मिली जो श्रीनगर का सबसे बदनाम बंदीगृह है. अधिकारी ने कहा कि इस तरह के तरीके इसलिये अपनाये जा रहे हैं क्योंकि सुरक्षा बलों के कर्मियों को पदोन्नति चाहिये होती है और बगावत पैदा करना आतंकवादियों के लिये एक कारोबार बन गया है.
गोपनीय संदेश कहता है कि रेडक्रॉस के अधिकारी ने संकेत दिये कि उनका संगठन विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ अप्रैल से जून के बीच एक और बैठक करना चाहेगा.
गोपनीय संदेश के मुताबिक, ‘रेडक्रॉस के नयी दिल्ली कार्यालय के अधिकारी चाहते थे कि संगठन के अध्यक्ष भारत दौरा करें ताकि यह मुद्दा और अन्य मुद्दे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात के दौरान उठाये जा सकें. रेडक्रॉस के अधिकारी ने इस बात को काफी महत्वपूर्ण माना लेकिन जोर दिया इस पर कोई सहमति नहीं बन पायी थी.’
संदेश कहता है कि मलफोर्ड ने अपनी टिप्पणी में कहा कि रेडक्रॉस ने बीते कई वर्ष के अपने तरीके को बदला है और अमेरिकी दूतावास को ब्योरा दिया है. इससे संगठन की विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के प्रति निराशा जाहिर होती है. बहरहाल, दूतावास ने पाया कि रेडक्रॉस का जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ अनुभव अतीत की तुलना में अच्छा और सकारात्मक रहा है.{mospagebreak}
गोपनीय दस्तावेज के मुताबिक, मलफोर्ड ने कहा कि जानकारी बताती है कि बंदीगृहों में खराब बर्ताव और प्रताड़ना जारी रहना काफी परेशान कर देने वाली बात है. रेडक्रॉस को यथास्थिति स्वीकार नहीं है और वह भारत सरकार के साथ वास्तविक बातचीत चाहता है.
संदेश कहता है कि मलफोर्ड ने लिखा कि रेडक्रॉस के अधिकारियों ने वर्ष 2002 से 2004 के बीच जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में 177 बंदीगृहों का दौरा किया और 1,491 बंदियों से मुलाकात की. इनमें से 1,296 से निजी तौर पर बातचीत की गयी. 852 मामलों में कैदियों ने बताया कि उनके साथ खराब बर्ताव हुआ है.