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राज्यसभा में भाजपा, बसपा ने सिब्बल को बनाया निशाना

राज्यसभा में भाजपा एवं बसपा ने उच्च शिक्षा मुद्दे पर चर्चा के बहाने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को जमकर निशाना बनाया और उनके हिन्दी एवं इतिहास ज्ञान पर चुटकियां ली. साथ ही रामलीला मैदान का भी परोक्ष ढंग से जिक्र किया गया.

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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

राज्यसभा में भाजपा एवं बसपा ने उच्च शिक्षा मुद्दे पर चर्चा के बहाने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को जमकर निशाना बनाया और उनके हिन्दी एवं इतिहास ज्ञान पर चुटकियां ली. साथ ही रामलीला मैदान का भी परोक्ष ढंग से जिक्र किया गया.

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भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने उच्च शिक्षा के मुद्दे पर आधे घंटे की चर्चा में भाग लेते हुए चंपारण के बारे में सिब्बल के पूर्व बयान को लेकर उन्हे आड़े हाथ लिया. उन्होंने दावा किया कि मंत्री को चंपारण के ऐतिहासिक महत्व के बारे में पता नहीं है.

रूड़ी ने कहा कि सिब्बल पूर्व में इसी सदन में यह कह चुके हैं कि चंपारण में वायु, रेल या सड़क संपर्क नहीं है लिहाजा वहां केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनवाना उपयुक्त नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘लगता है मंत्रीजी को या तो अधिकारियों ने ढंग से ब्रीफिंग नहीं दी. अथवा वे ज्यादा व्यस्त थे. उन्हें रामलीला मैदान (हजारे आंदोलन) की समस्याएं भी सुलझाने का प्रयास करना पड़ता है.’

भाजपा नेता ने इसके बाद सिब्बल और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच केन्द्रीय विश्वविद्यालय को लेकर हुए पत्राचार का जिक्र करते हुए कहा कि सिब्बल ने शायद इसलिए उन पत्रों पर ज्यादा ध्यान इसलिए नहीं दिया क्योंकि वे हिन्दी में थे. उन्होंने कहा, ‘यदि मंत्रीजी कहते तो हम उन पत्रों का अंग्रेजी में अनुवाद करवा देते.’

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चर्चा में भाग लेते हुए बसपा के नरेशचंद्र अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश की अबादी को देखते हुए वहां केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या बेहद कम होने की ओर सिब्बल का ध्यान दिलाया और कहा कि शिक्षा के मामले में ज्यादा आर्थिक सहायता देने के लिए राज्य की मुख्यमंत्री भी उन्हें कई पत्र लिख चुकी हैं. लेकिन वे पत्र भी हिन्दी में लिखे गये थे शायद इसीलिए उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.

उन्होंने सिब्बल द्वारा दिये जाने वाले विभिन्न आश्वासनों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यदि आप इसी तरह की घोषणाएं करते रहे तो सरकार की साख गिरेगी. रामलीला मैदान में भीड़ बढ़ती जायेगी.’

चर्चा का जबाव देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘मैं खुलेआम स्वीकार करना चाहता हूं कि मुझे न तो अच्छी हिन्दी आती है और न ही अच्छी अंग्रेजी. मेरा इतिहास ज्ञान भी अच्छा नहीं है. यह बात दीगर है कि मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में आधुनिक इतिहास पढ़ाता था.’

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