नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान बिना बजटीय प्रावधान के 565.42 करोड़ रुपये खर्च किये.
मार्च 2011 को समाप्त हो रहे साल की प्रदेश की वित्तीय रिपोर्ट में बिना बजटीय प्रावधान के खर्च करने की बात का पता चला है, जो पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले 141.64 करोड़ रुपये ज्यादा रहा.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह देखा गया कि खाते के 64 बड़े मदों में 2010.11 के दौरान 565.42 करोड़ रुपये का खर्च बिना किसी बजट प्रावधान के किया गया.’
कैग ने खुलासा किया कि मूल प्राक्कलन कार्यों और पूरक मांगों में प्रावधान के बिना धन खर्च किया गया. वर्ष 2009-10 के लिए मूल प्राक्कलन में किसी प्रावधान के बिना 49 बडे मदों पर 423.78 करोड़ रुपये खर्च किये गये.
रिपोर्ट में ब्योरा देते हुए बताया गया कि सर्वाधिक खर्च लोक निर्माण विभाग में किया गया जो 144.43 करोड़ रुपये था. इसके बाद सामाजिक कल्याण विभाग में 87.70 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा विभाग में 77.33 करोड़ रुपये तथा योजना एवं विकास विभाग में 32.38 करोड़ रुपये खर्च किये गये.
रिपोर्ट कहती है कि बजट मैनुअल के अनुसार किसी योजना या सेवा पर बिना बजटीय प्रावधानों के खर्च नहीं किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में पता चला कि राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2010.11 में बजटीय अनुदानों और विनियोग के 42 मामलों में 3,762.45 करोड़ रुपये नहीं दिये और इस तरह से प्रदेश के बजट मैनुअल का उल्लंघन किया गया.
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इस क्षेत्र में सरकार की विफलता ने उसे अन्य जरूरतमंद क्षेत्रों में स्थानांतरण करने के मौके से वंचित रखा. कैग रिपोर्ट में राज्य के बजट मैनुअल के उल्लंघन की बात कहते हुए बताया गया है कि विभागों को बचत के पूर्वानुमान की स्थिति में अनुदानों, विनियोग और बचत के हिस्सों को वित्त विभाग को सौंप देना चाहिए.
14,353.83 करोड़ रुपये के कुल अनुदान में वास्तविक खर्च 11,110.68 करोड़ रुपये था और इस तरह से 3762.45 करोड़ रुपये की बचत हुई.