जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र संघ के विभिन्न पदों पर चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान समाप्त हो गया. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव तथा संयुक्त सचिव के लिए 30 उम्मीदवार मैदान में हैं.
चुनाव परिणाम की घोषणा शनिवार को की जाएगी. विश्वविद्यालय में इस साल दूसरी बार छात्र संघ के चुनाव हो रहे हैं. यहां चार साल बाद मार्च में चुनाव हुए थे, लेकिन विश्वविद्यालय चुनाव को लेकर लिंगदोह आयोग की अनुशंसाओं पर इसे रद्द कर दिया गया था.
विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न छात्र संगठनों के पोस्टर के अतिरिक्त चुनाव बहिष्कार के लिए लिंगदोह अनुशंसा विरोधी समूह स्टूडेंट्स फॉर रेसिस्टेंस (एसएफआर) के पोस्टर भी लगे हुए थे.
विश्वविद्यालय में वामपंथी छात्र संगठनों का बोलबाला है. यहां की कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की उपस्थिति भी है.
जेएनयू में स्कूल ऑफ डेवेलपमेंट स्टडीज के छात्र राजेश ने कहा, 'इन चुनावों और पहले होने वाले चुनावों में फर्क है.'
इस साल मार्च में हुए चुनाव में उपाध्यक्ष निर्वाचित होने वाले अभिषेक यादव ने कहा, 'चार साल के अंतराल के कारण विराजनीतिकरण हो गया है. हम विभिन्न मुद्दों पर चर्चा तथा संवेदीकरण के पुराने जज्बे को लौटाने की कोशिश कर रहे हैं.'
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के सदस्य यादव ने कहा, 'जेएनयू में चुनाव केवल विश्वविद्यालय परिसर के मुद्दों पर नहीं लड़े जाते. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दे भी इसमें उठाए जाते हैं.' पिछले चुनाव में आइसा सभी चार सीटों पर जीती थी.