देश में शौचालय से अधिक मंदिर होने का बयान देकर विवाद खड़े करने के कुछ ही दिन बाद केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने महिलाओं से उन परिवारों में शादी करने से इनकार करने की अपील की, जहां शौचालय नहीं हैं.
कोटा के पास खजूरी गांव में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास तथा जल एवं स्वच्छता मंत्री रमेश ने कहा, ‘उस परिवार में शादी नहीं करें, जहां शौचालय नहीं है. यानी शौचालय नहीं, तो दुल्हन नहीं.’ जिन लोगों को वे संबोधित कर रहे थे, उनमें ज्यादातर महिलाएं थीं.
'शादी से पहले लें शौचालय की जानकारी'
उन्होंने कहा, ‘आप शादी से पहले नक्षत्रों की अनुकूलता जानने के लिए राहु-केतु आदि के बारे में ज्योतिषी से पूछते हैं. आप जब शादी का निर्णय कर रहे हों तब आपको को यह भी देखना चाहिए कि दुल्हे के घर में शौचालय है कि नहीं.’ बाद में रमेश ने कोटा जिले के एक छोटे शहर सांगौड़ में निर्मल भारत यात्रा के तीसरे संस्करण का शुभारंभ किया. उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा वहां स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए दिए गए नारे ‘शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं’ का हवाला दिया.
भाषण के दौरान दिया मिसाल
रमेश ने अनिता नैरे की कहानी का जिक्र किया, जो मध्य प्रदेश में शादी होने के दो दिन बाद ही ससुराल में शौचालय नहीं होने पर पति का घर छोड़कर वापस चली गयी. उन्होंने कहा कि स्वच्छता महिलाओं की मर्यादा एवं सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है और निर्मल भारत अभियान जनांदोलन है, जिसका लक्ष्य दस सालों में खुले में शौच करने की प्रथा का उन्मूलन करना है. उन्होंने लोगों को पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने को लेकर राजस्थान सरकार की आलोचना की.
विवादास्पद बयान पर रमेश का विरोध
रमेश ने कहा कि राज्य में 9,177 ग्राम पंचायतों में केवल 321 ही खुले में शौच की प्रथा से मुक्त हुई हैं. उन्होंने प्रशासन से राज्य को पांच साल में खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए कहा. इसी बीच भगवा संगठनों के सदस्यों ने जगह-जगह रमेश को मंदिर एवं शौचालय संबंधी बयान को लेकर काले झंडे दिखाए. मंत्री ने हाल ही में कहा था कि देश में शौचालय से अधिक मंदिर है. उनके इस बयान से दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों की भृकुटी तन गयी थी.