उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बुधवार को विधानसभा चुनाव के लिए अपनी जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रीय) के घोषणापत्र को जारी करते हुए राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और सामाजिक न्याय के प्रति पार्टी के संकल्प को दोहराया.
पार्टी ने अपने घोषणापत्र में प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. मगर धर्म आधारित आरक्षण का विरोध करते हुए कहा है कि वह पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे में किसी भी कटौती का विरोध करेगी.
जनक्रांति पार्टी ने अपने घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ते के साथ ही लड़कियों को मुफ्त शिक्षा तथा नौकरियों में 20 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया है, साथ ही खुदरा व्यापार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध किया है और उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिये जाने पर सवाल उठाये है.
पार्टी घोषणापत्र को जारी करते हुए सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ‘न्याय सबको तुष्टिकरण किसी का नहीं’ की नीति पर चल रही है और आगे भी इसी का अनुसरण करेगी.
उन्होंने तमाम अन्य दलों पर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसके विरोध में है.
जनक्रांति पार्टी के संरक्षक सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी को छोड़कर कोई भी दल भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के प्रति ईमानदार नहीं है और सभी में भ्रष्ट और आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार मैदान में उतारे है.
भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए जारी किये गये ‘दृष्टिपत्र’ में प्रदेश में अपनी सरकारों के समय मुख्यमंत्री के रुप में उनके काम की भी प्रशंसा की गयी है. इस पर दो बार भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रह चुके सिंह ने कहा कि यदि ऐसा है तो भाजपा को उनका समर्थन करना चाहिए.