सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार और हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में सौदेबाजी को लेकर शनिवार को तीन विधायकों और एक उद्योगपति के आवासों छापेमारी की.
सीबीआई ने इसके साथ ही कहा कि वह चुनाव में कथित भ्रष्टाचार एवं सौदेबाजी के आरोप लगने के बाद मतदान में इस्तेमाल मतपत्रों की भी जांच करना चाहती है ताकि मतदाताओं की उम्मीदवारों की पसंद पता चल सके. राज्यसभा चुनाव में एक ऐसा प्रणाली है, जिससे एक विशिष्ट विधायक की पसंद का पता चल सकता है.
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीबीआई की टीमों ने कांग्रेस के विधायक के एन. त्रिपाठी के पलामू स्थित परिसर, राजद विधायक सुरेश पासवान के देवघर स्थित परिसर और विष्णु भैया के जमतारा स्थित परिसर पर छापे मारे. सीबीआई ने इसके साथ ही विधायकों के यहां स्थित आवासों पर भी छापे मारे.
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे उद्योगपति एवं सिंहभूम चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष आर के अग्रवाल, उनके दामाद सौमित्र साहा के जमशेदपुर और उनके एक रिश्तेदार आर के साहा के चाईबासा स्थित आवासों पर भी छापेमारी की. गत 30 मार्च को हुआ चुनाव इस आरोप के बाद रद्द कर दिया गया था कि कुछ प्रत्याशी सौदेबाजी के जरिये संसद के उपरी सदन में पहुंचने का प्रयास कर कर रहे हैं.
सीबीआई ने नामकुम पुलिस थाने से प्राथमिकी की वास्तविक प्रति प्राप्त करने के बाद गत गुरुवार को एक प्राथमिकी दर्ज की थी. नामकुम पुलिस थाने में प्राथमिकी चुनाव के दिन मतदान शुरू होने से पहले एक वाहन से 2.15 करोड़ रुपये बरामद होने के बाद दर्ज की गई थी.
प्राथमिकी के अनुसार जिस वाहन से कथित रूप से राशि बरामद हुई थी वह अग्रवाल के भाई सुरेश के नाम से पंजीकृत है.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171 एफ और 188 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. धारा 171 एफ के तहत चुनाव में ‘अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण’ से संबंधित मामलों से निपटा जाता है. इसके तहत अधिकतम एक वर्ष की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है जबकि धारा 188 के तहत एक प्राधिकारी के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए छह महीने की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
इस बीच सीबीआई उस दिन इस्तेमाल मतपत्रों की जांच की भी मांग करेगी.
सीबीआई अधिकारी ने कहा, ‘हम चुनाव आयोग से इस बात की इजाजत मांगेंगे कि हमें मतपेटी को ले जाने दिया जाए ताकि विधायकों की उम्मीदवारों की पसंद का पता चल सके क्योंकि इसके बिना किसी भी आरोपी को पकड़ना मुश्किल होगा.’
विधानसभा सचिवालय सूत्रों के अनुसार हालांकि राज्यसभा चुनाव के दौरान मतपत्र में विधायक के नाम का उल्लेख नहीं होता लेकिन उस पर एक छुपा हुआ नम्बर होता है जिसे उस काउंटर फोइल नम्बर से मिलाया जा सकता है जो विधायक को मतदान से पहले दिया जाता है.
इस्तेमाल किये गए मतपत्र को खुरचकर उसके नम्बर का पता लगाया जा सकता है. इसके बाद इस नम्बर को काउंटरफोइल नम्बर के साथ मिलाया जाता है तो एक विधायक की उम्मीदवार की पंसद पता जाता है.
सीबीआई ने शुक्रवार को 30 मार्च को हुए चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों और उनके प्रस्तावकों की सूची प्राप्त की. सीलबंद मतदान पेटी विधानसभा सचिवालय के स्ट्रांग रूम में रखी गई है.