सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोगों के कार्य अर्ध-न्यायिक हैं और इसलिए इसके प्रमुख तथा सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि के लोग होने चाहिए.
न्यायमूर्ति ए. के. पटनायक तथा न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं कि आयोग 'न्यायिक ट्रिब्यूनल' है, जो 'न्यायिक' तथा 'अर्ध-न्यायिक' प्रकृति के काम करता है और इसकी स्थिति भी अदालतों की तरह है.'
न्यायमूर्तियों ने कहा कि सूचना आयोगों में न्यायिक पृष्ठभूमि के लोगों को रखे जाने से न्यायिक प्रक्रिया सुगम होगी, लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी और उनका भरोसा भी आयोगों में बढ़ेगा. न्यायालय ने कहा कि सूचना देने से इंकार करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाले दो में से एक सदस्य को न्यायिक पृष्ठभूमि का होना चाहिए.
पीठ ने संसद को भी परामर्श दिया कि वह केंद्रीय तथा राज्य आयोगों के सदस्यों की नियुक्ति से सम्बंधित सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों पर फिर से काम करे या इसमें संशोधन करे.
निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग के न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य सूचना आयोगों के न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति सम्बंधित राज्य के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से होगी.
कोर्ट ने कहा कि 20 साल के अनुभव वाले वकीलों को केंद्रीय एवं राज्य सूचना आयोगों में नियुक्त करने पर विचार किया जा सकता है. न्यायालय का यह फैसला एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए आया, जिसमें आरटीआई अधिनयम की धारा 12 के खंड पांच और धारा 15 के खंड पांच व छह को रद्द करने की मांग की है, जिसमें केंद्रीय तथा राज्य सूचना आयोगों में नियुक्ति के लिए योग्यताओं का उल्लेख किया गया है.