उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया, जिसके जरिये हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ एस्मा के प्रयोग को अदालत में चुनौती दी गयी है.
जूनियर डॉक्टरों की ओर से पैरवी कर रहे प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता आनंदमोहन माथुर ने बताया, ‘उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने मेरे मुवक्किलों की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और उसे आदेश दिया कि वह जूनियर डॉक्टरों पर एस्मा के इस्तेमाल के औचित्य को लेकर जवाब पेश करे.’
उन्होंने बताया कि इस मामले में सुनवाई के लिये अगली तारीख 28 नवंबर तय की गयी है. माथुर ने याचिका के हवाले से कहा कि जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम (एस्मा) का इस्तेमाल कानूनन गलत है.
वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि जूनियर डॉक्टरों पर एस्मा लागू ही नहीं होता, क्योंकि वे मेडिकल विद्यार्थी होने के नाते ‘मानदेय’ पर काम करते हैं और प्रदेश सरकार के नियुक्त ‘नियमित कर्मचारी’ नहीं हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर करीब 300 जूनियर डॉक्टर शहर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में 14 नवंबर से हड़ताल पर थे, जो प्रदेश सरकार से हुए समझौते के बाद आज काम पर लौटे. हड़ताल में भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के जूनियर डॉक्टर भी शामिल थे. उन्होंने बताया कि हड़ताल के दौरान यहां जूनियर डॉक्टरों पर एस्मा के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया गया था.