सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार से कहा कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएनपीपी) को शुरू करने से पहले सभी सुरक्षा मानक लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं को विरोधात्मक मुकदमेबाजी नहीं कहे, क्योंकि यह लोकहित से जुड़ा मामला है.
न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने यह बात एक सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर पी. सुंदरराजन की याचिका की सुनवाई के दौरान कही. याचिका में केएनपीपी की पहली इकाई के रिएक्टर में ईंधन डालने से भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को रोके जाने की मांग की गई है.
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सभी 17 सुरक्षा मानकों को लागू किए जाने से पहले संयंत्र के रिएक्टर में ईंधन नहीं डाले जाने की पैरवी कर रहे थे और महाधिवक्ता रोहिंटन नरीमन उनसे प्रतिवाद कर रहे थे.
महाधिवक्ता को धीरज रखने की सलाह देते हुए न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा कि यह मामला आम लोगों के सरोकारों से जुड़ा हुआ है। यह जनहित का (मामला) है. पिछली सुनवाई 13 सितम्बर को हुई थी, जिसमें अदालत ने कोई तात्कालिक आदेश नहीं दिया था.
अदालत ने कहा कि वह यह जानना चाहेगी कि सरकार सुरक्षा मानक पर क्या गारंटी दे सकती है. यह कहते हुए अदालत ने इस मामले को 27 सितम्बर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.