अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की अफगानिस्तान यात्रा के कुछ ही घंटों बाद काबुल में तालिबानी आतंकवादियों के हमले में सभी पांच हमलावरों सहित 11 लोग मारे गए हैं. अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के ठीक एक साल पूरा होने पर काबुल में यह हमला हुआ, इस तालिबानी हमले के बाद तनाव की स्थिति है.
काबुल की अघोषित यात्रा पर मंगलवार को काबुल पहुंचे ओबामा के रवाना होने के बाद यह हमला हुआ. ओबामा ने इस यात्रा के दौरान अपने अफगानी समकक्ष हामिद करजई के साथ एक सामरिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए. तालिबानी आतंकवादियों ने बुधवार सुबह आत्मघाती विस्फोट किए और उनकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई.
खबरों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विदेशी कर्मचारियों के एक आवासीय परिसर में हुए इस हमले को अंजाम देने वाले सभी हमलावरों को मार गिराया गया है.
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग बल (आईएसएएफ) का कहना है, 'अफगान सुरक्षा बल ने हमले पर त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए सभी हमलावरों को मार गिराया है.' दो मई के दिन को लेकर अफगानिस्तान में पहले ही चिंता की स्थिति थी. इसी दिन पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा को मार गिराया गया था. अलकायदा के अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के बाद से तालिबान ओसामा को संरक्षण दे रहा था.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुल-ए-चरखी इलाके में ग्रीन विलेज परिसर के प्रवेश द्वार को निशाना बनाते हुए सुबह करीब 6.15 बजे एक आत्मघाती कार बम हमला हुआ. भारी हथियारों से लैस अन्य आतंकवादियों को परिसर में प्रवेश कराने के लिए यह हमला किया गया.
परिसर के अंदर दो विस्फोट हुए और फिर गोलीबारी शुरू हो गई.
पुल-ए-चरखी इलाका जलालाबाद मार्ग पर स्थित है, यह राजधानी से बाहर जाने का मुख्य मार्ग है, जो पाकिस्तान की सीमा से जुड़ता है. समीप में ही कई अमेरिकी व नाटो शिविर स्थित हैं.
काबुल पुलिस अधिकारियों के मुताबिक विस्फोटों व मुठभेड़ में सभी पांच आतंकवादियों सहित 11 लोग मारे गए हैं, अन्य लोगों की पहचान नहीं हो सकी है लेकिन उनमें से एक नेपाली सुरक्षाकर्मी बताया जा रहा है.
इससे पहले 15 अप्रैल को काबुल व तीन अन्य पूर्वी शहरों में हुए तालिबानी हमलों में 36 हमलावरों सहित 51 लोग मारे गए थे और 74 घायल हुए थे.
बुधवार को हुए इस हमले में किसी भारतीय नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने ट्विटर पर कहा, 'काबुल में मारे गए लोगों में किसी भारतीय के होने की रिपोर्ट नहीं है.'
खबरों के मुताबिक ओबामा व करजई के बीच हुआ समझौता साल 2014 में अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं की अफगानिस्तान से विदाई के बाद की रणनीति तय करता है.
ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह उनकी तीसरी अफगानिस्तान यात्रा है, उन्होंने यहां बगराम एयर फील्ड में सैनिकों को संबोधित भी किया.
ओबामा ने कहा, 'इस समझौते के साथ मुझे पूरा विश्वास है कि अफगानिस्तान के लोग यह समझेंगे कि अमेरिका उनके साथ खड़ा है. हम अलकायदा के खात्मे की बहुत स्पष्ट दृष्टि के साथ यहां आए थे.'
वर्तमान में अफगानिस्तान में अमेरिका के 90,000 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं, उम्मीद है कि 2012 के अंत तक अमेरिका यह संख्या 65,000 तक सीमित कर देगा और 2014 के अंत तक उसके सैनिकों की संख्या 20,000 से कम रह जाएगी.