सुरेश कलमाडी ने खेल मंत्री अजय माकन पर पलटवार करते हुये कहा कि उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटाना ‘गैरकानूनी और गैरजरूरी’ है.
आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटाये जाने के एक दिन बाद कलमाडी ने मंगलवार को बागी तेवर अपनाते हुए कहा कि केवल भारतीय ओलंपिक संघ के पास उन्हें हटाने की शक्ति है क्योंकि इसी संघ ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया है.
कलमाडी ने कहा कि वह विरोधस्वरूप मुख्य कार्यकारी अधिकारी जरनैल सिंह को आयोजन समिति के अध्यक्ष पद का कार्यभार सौंपेगे, जैसा कि खेल मंत्री द्वारा करने के लिये कहा गया है.
माकन को लिखे पत्र में कलमाडी ने कहा, ‘मैं दिनांक 24 जनवरी 2011 वाला आदेश पाकर हैरान हूं जिसमें मुझे अवैध और मनमाने ढंग से राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति और कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे अधिकारों और दावों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तथा मेरे पत्र जिसमें कहा गया है कि आदेश गैरकानूनी और बिना किसी क्षेत्राधिकार वाला है, के बावजूद, मैं विरोधस्वरूप अपना कार्यभार सौंप रहा हूं.’ कलमाडी ने उन्हें हटाने के लिये खेल मंत्रालय द्वारा दिये गये कारण का भी विरोध किया जिसमें कहा गया था कि उन्हें इसलिये हटाया जा रहा है ताकि राष्ट्रमंडल खेलों में हुये कथित भ्रष्टाचार की ‘निष्पक्ष’ जांच सुनिश्चित की जा सके.{mospagebreak}
कलमाडी ने दावा किया कि उन्होंने और आयोजन समिति के अधिकारियों ने विभिन्न जांच एजेंसियों के साथ सहयोग किया है.
इस खेल प्रशासक ने कहा, ‘सबसे पहले मेरे लिये यह कहना जरूरी है कि मैंने सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों को पूरा संभव सहयोग दिया है. मैंने खासतौर पर सीईओ सहित पूरी आयोजन समिति को सीबीआई को हरसंभव सहायता देने और उनका सहयोग करने के निर्देश दिये थे.’
कलमाडी ने कहा, ‘मैंने सीबीआई को भी लिखा है कि मैं किसी भी तय समय पर उनकी सहायता करने के लिये उपलब्ध हूं. सीबीआई द्वारा जाहिर की गईं चिंताएं नहीं पाई गईं और 24 जनवरी 2011 वाला आदेश गैरजरूरी है.’
कलमाडी ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के लिये ‘मेजबान शहर’ अनुबंध के अनुसार आयोजन समिति आईओए द्वारा बनाई गई थी और इसलिये खेल मंत्रालय के पास कानूनी रूप से उन्हें हटाने की शक्ति नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं जरूर कहना चाहता हूं कि संस्था पंजीकरण अधिनियम के तहत आयोजन समिति एक स्वायत्त संस्था है. संस्था के अध्यक्ष के रूप में मुझे केवल संस्था के संवैधानिक दस्तावेजों के तहत ही हटाया जा सकता है.’
कलमाडी ने कहा, ‘24 जनवरी 2011 के आदेश जारी नहीं किया जाना चाहिये था क्योंकि यह बिना क्षेत्राधिकार के जारी किया गया है. यह आदेश मीडिया के एक धड़े द्वारा पैदा किये गये विवाद की त्वरित प्रतिक्रिया के तहत जारी किया गया है.’