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शुंगलू समिति ने की कलमाडी व भनोट की खिंचाई

शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्‍त प्रमुख सुरेश कलमाड़ी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था.

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शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्‍त प्रमुख सुरेश कलमाड़ी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था.

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पूर्व महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक वी के शुंगलू की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में परियोजनाओं को लागू करने में 1600 करोड़ रुपए का चुना लगाने के लिए कई सरकारी एजेंसियों को भी लताड़ा है. राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच करने वाली इस समिति ने कहा है कि आयोजन समिति 500 सदस्यों वाली भारी भरकम आमसभा और कार्यकारी बोर्ड में चापलूसी के कारण शासन की समस्याओं से घिरी थी.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘आयोजन समिति अध्यक्ष का पर्याय थी. शीर्ष पर सत्ता के अत्यधिक केन्द्रीकरण से निर्णय लेने की प्रक्रिया अध्यक्ष के हाथों और उनके निष्ठावान वरिष्ठ प्रबंधन मंडली में सीमित थी.’ रिपोर्ट में कलमाड़ी की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा गया है, ‘आयोजन समिति में वरिष्ठ पदों पर आसीन महत्वपूर्ण अधिकारियों में हितों का टकराव था.’ {mospagebreak}

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समिति ने पाया कि आयोजन समिति के शीर्ष के रवैये ने एक ऐसी स्थिति बना दी थी जहां गलतियां होना सामान्य बात थी और सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन नहीं मिलता था. समिति ने कहा है, ‘आतंरिक एवं बाहरी जवाबदेही की परिपाटी नहीं थी. कार्यकारी बोर्ड ने शायद ही शासन की अपनी भूमिका निभाई और उसने जवाबदेही से बचने के लिए अकसर जवाबदेही कार्यकारी प्रबंधन समिति को सौंप दी. फलस्वरूप सभी महत्वूपर्ण निर्णय अध्यक्ष के ईदगिर्द फैले मुट्ठीभर प्रभावशाली वफादारों द्वारा लिए गए.’

समिति ने अपनी जांच में पाया कि सचिवालय में महत्वपूर्ण पदों एवं वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर नियुक्ति मेधा के आधार पर नहीं की गयी और उनमें से अधिकतर को खेल का अनुभव नहीं था. किसी भी असंतोष को बर्दाश्त नहीं किया जाता था. पैनल ने कहा, ‘कई वरिष्ठ पदों पर ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति की गयी जिनकी निष्ठा संदिग्ध थी और जिनके खिलाफ अतीत में सतर्कता मामले रहे थे. संवेदनशील पदों पर नियुक्ति में सरकारी निर्देशों का उल्लंघन किया गया.’ {mospagebreak}

समिति ने कहा, ‘निगरानी के कार्य, योग्यता अनुपालन को प्रोत्साहन, नैतिक नियमों के पालन या कार्यकुशलता के लिए प्रभावी सतर्कता एवं आतंरिक लेखाजोखा की व्यवस्था नहीं थी.’ समिति ने टिकट, स्पोंसरशिप, लागत, टाइमिंग, स्कोरिंग, परिणाम, खान पान और भर्ती से संबंधित परियोजनाओं में भारी अनियमिताएं एवं राजस्व हानि पाई.

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समिति ने खेल स्थल के विकास के लिए इवेंट नॉलेज सर्विसेज नामक कंपनी को दिये गए तीन अनुबंधों को संदिग्ध पाया तथा मॉरीशस की इस कंपनी तक आयोजन समिति के धन के प्रवाह की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की सिफारिश की.

खेल स्थलों पर एक अन्य रिपोर्ट में समिति ने सभी स्थलों पर परियोजनाओं को पूरा करने में विलंब के कारण 800 करोड़ रुपए अतिरिक्त व्यय पाया. उसने कहा है कि नागरिक और निर्माण एजेंसियों की वित्तीय चूक से अनुबंधकर्ताओं को 250 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ मिला. {mospagebreak}

समिति ने कुछ खास प्रकार की परिसंपत्तियों पर करीब 574 करोड़ रुपए का अनावश्यक व्यय पाया. समिति ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक, दिल्ली विकास प्राधिकरण एवं इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों समेत उच्च अधिकारियों द्वारा आपराधिक आचरण एवं प्रबंधकीय भूल का सबूत पाया.

समिति प्रसार भारती द्वारा प्रसारण अनुबंध, राष्ट्रमंडल खेल गांव के निर्माण, तथा शहर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पहले ही अपनी रिपोर्टें प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप चुकी है. 31 जनवरी को सौंपी अपनी पहली रिपोर्ट में समिति ने प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी एस लाली, पूर्व महानिदेशक (दूरदर्शन) अरुणा शर्मा के खिलाफ कठोर कार्रवाई की सिफारिश की थी. दूसरी और तीसरी रिपोर्ट में समिति ने कथित अयोग्यता के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एवं उपराज्यपाल तेजेंदर खन्ना का नाम लिया है.

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