केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की समान प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के निर्णय को वापस लेने से इंकार किया है.
उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि भारतीय संसद द्वारा पारित आईआईटी अधिनियम के अनुसार यह फैसला आईआईटी परिषद द्वारा एक देश एक परीक्षा के सिद्धांत के तौर पर लिया गया है. पत्रकारों ने सिब्बल से आईआईटी कानपुर सहित कई अन्य संस्थाओं द्वारा इस प्रस्ताव का विरोध करने पर प्रतिक्रिया मांगी थी.
सिब्बल ने कहा कि आईआईटी परिषद का फैसला अंतरराष्ट्रीय क्रियाकलापों के अनुसार है. उन्होंने कहा, 'इस फैसले का उद्देश्य आईआईटी की स्वायत्तता प्रभावित करना नहीं है. इसके तहत जो भी परीक्षा होगी उसका निर्धारण आईआईटी स्वयं ही करेंगे.'
पिछले महीने मानव संसाधन मंत्रालय ने 2013 से आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (आईआईटी-जेईई) को एआईईईई को जोड़ने का फैसला किया था. हालांकि आईआईटी कानपुर की सीनेट नई स्वरूप को खारिज करते हुए स्वयं प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का निर्णय लिया था.
उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे सिब्बल उच्च शिक्षा पर भारत-अमेरिका वार्ता की सह अध्यक्षता अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ करेंगे. मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि भारत लौटने पर वह आईआईटी कानपुर के निर्णय का अध्ययन करेंगे. उन्होंने कहा, 'इसका सरकार के साथ कुछ लेना देना नहीं है और इससे आईआईटी की शिक्षा की गुणवत्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.'