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सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करे बीसीसीआई: कपिल

पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव और मोहम्मद अजहरूद्दीन ने बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल महासंघ बनाकर आरटीआई अधिनियम के तहत लाने का समर्थन किया. इसका प्रस्ताव राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक में रखा गया है.

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कपिल देव
कपिल देव

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पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव और मोहम्मद अजहरूद्दीन ने बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल महासंघ बनाकर आरटीआई अधिनियम के तहत लाने का समर्थन किया. इसका प्रस्ताव राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक में रखा गया है.

विधेयक पर आज कैबिनेट में चर्चा की जायेगी. वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ही पेश किये जाने की उम्मीद है.

बीसीसीआई जैसे स्वायत्त संस्थान और भारतीय ओलंपिक संघ ने विधेयक का विरोध किया है. कपिल ने हालांकि कहा कि बीसीसीआई को कानून तोड़ने के बारे में नहीं सोचना चाहिये.

भारत को पहला विश्व कप दिलाने वाले कप्तान ने भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक सेमिनार में कहा, यदि सरकार कोई नियम बनाती है तो बीसीसीआई को दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिये.  बीसीसीआई स्वायत्त रूप से भी काम कर सकती है लेकिन सरकार के दिशा निर्देशों की उपेक्षा करके नहीं.’ वहीं मुरादाबाद से कांग्रेस सांसद अजहर ने कहा कि बीसीसीआई को नियमों में रियायत नहीं दी जानी चाहिये.

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उन्होंने संसद से बाहर पत्रकारों से कहा, यह विधेयक खेल ईकाइयों के लिये अच्छी बात है . यह सभी खेल महासंघों के लिये होना चाहिये और किसी को रियायत नहीं मिलनी चाहिये.’ वहीं बीसीसीआई इस विधेयक के दायरे में आने के लिये अभी भी तैयार नहीं है.

बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा, मैने अभी विधेयक नहीं देखा है. पहले मुझे मसौदा देखना होगा. यह आरटीआई के अधीन कैसे आ सकता है जबकि हम सरकार से कोई अनुदान नहीं लेते.

पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा ने कहा कि बीसीसीआई को इस विधेयक का विरोध नहीं करना चाहिये. उन्होंने कहा, बीसीसीआई ने बेहतरीन काम किया है लेकिन जब सरकार कोई कानून बनाती है तो एक संस्था विशेष को नहीं देखती क्योंकि खेल एक है. यदि ऐसा कोई विधेयक आता है तो सारी खेल ईकाइयों को अपने दायरे में लेता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

जडेजा ने कहा, बीसीसीआई को चिंता करने की क्या जरूरत है. सरकार उससे यह नहीं कह रही है कि खेल को बढावा मत दो या अपना तरीका बदल दो. वह उसे कुछ भी करने से नहीं रोक रही है . वह बस इतना चाहती है कि यह अधिक पारदर्शी तरीके से हो.’

कपिल ने भी कहा, मेरे भले ही बीसीसीआई से मतभेद रहे हों लेकिन बीसीसीआई ने एक ईकाई के रूप में बेहतरीन काम किया है जबकि दूसरे खेल महासंघ ऐसा नहीं कर सके हैं. सभी को बीसीसीआई से प्रेरणा लेनी चाहिये.’ सरकार का मानना है कि विधेयक राष्ट्रीय खेल महासंघों में जवाबदेही लायेगा.

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माकन ने कल कहा था, हमें खेलों में सुधार की जरूरत है जो यह विधेयक लायेगा. यदि कैबिनेट से मंजूरी मिल गई तो यह संसद में जायेगा और मुझे यकीन है कि संसद में सर्वसम्मति से पारित होगा.’ उन्होंने कहा था कि संसद से मंजूरी मिलने पर विधेयक के तहत सभी महासंघों के लिये कार्यकारी बोर्ड में 25 प्रतिशत खिलाड़ियों को रखना अनिवार्य होगा.

बीसीसीआई की संचालन परिषद के सदस्य और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने इस विधेयक को खेल ईकाइयों के कामकाज में सरकार का दखल बताया. उन्होंने कहा, इस विधेयक की क्या जरूरत है. क्या सरकार सभी खेल ईकाइयों पर नियंत्रण बनाना चाहती है. सरकार को चाहिये कि बुनियादी ढांचा तैयार करने पर ध्यान दे. उनके पास देश में खेलों को बढावा देने के लिये पर्याप्त धन ही नहीं है.’

उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, सरकार ऐसे कानून लाकर खेल ईकाइयों पर नियंत्रण बनाने की कोशिश में हैं. कोई भी खेल महासंघ इसका स्वागत नहीं करेगा.’ इस विधेयक के तहत महासंघ में 70 वर्ष से अधिक उम्र का कोई व्यक्ति महासंघ या आईओए का पदाधिकारी नहीं बन सकता . इसके साथ ही महासंघों के अध्यक्ष 12 वर्ष या चार चार साल के तीन कार्यकाल से अधिक पद पर नहीं रह सकते.

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अन्य पदाधिकारी लगातार दो बार पद पर नहीं रह सकते लेकिन वे चार साल के ब्रेक के बाद फिर चुने जा सकते हैं.

अजहर ने इसका समर्थन करते हुए कहा, यह अच्छी बात है. कार्यकाल प्रतिस्पर्धी होना चाहिये. यदि तीन साल में सुधार नहीं होता तो 30 साल में भी नहीं हो सकता. कपिल ने कहा कि खेल महासंघों को बीसीसीआई से सबक लेना चाहिये कि संगठन का संचालन कैसे किया जाता है.

उन्होंने कहा, क्रिकेट की आलोचना करने की बजाय दूसरे खेल महासंघ बीसीसीआई से सीख ले सकते हैं कि खेल की मार्केटिंग कैसे की जाती है.’

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