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कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 विधायकों को अयोग्‍य माना

कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार को शुक्रवार को उस समय बड़ी राहत और बढ़त मिली जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भाजपा के 11 विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सही ठहराया.

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कर्नाटक में भाजपा सरकार को शुक्रवार को उस समय जबर्दस्त राहत मिली जब उच्च न्यायालय में तीसरे न्यायाधीश ने मुख्य न्यायाधीश के फैसले से सहमति जताते हुए भाजपा के 11 विधायकों की अयोग्यता बरकरार रखी.

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यह मामला मुख्य न्यायाधीश जेएस शेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में एक राय न बन पाने पर तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीजी सभाहित को सौंप दिया था. न्यायमूर्ति सभाहित ने असंतुष्ट विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के विधानसभा अध्यक्ष केजी बोपैया के आदेश को बरकरार रखा.

उन्होंने कहा कि अयोग्य घोषित किए जाने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (ए), दल बदल कानून के अनुरूप है. पूर्व में खंडपीठ में शामिल दो न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसला दिया था.

मुख्य न्यायाधीश ने विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखा था जबकि इसमें शामिल दूसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को खारिज कर दिया था. इस पर पीठ ने मामला तीसरे न्यायाधीश के पास भेज दिया था. न्यायमूर्ति सभाहित ने औपचारिक आदेश सुनाने के लिए अपने फैसले को खंडपीठ के सामने रखा. {mospagebreak}

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अदालत का आदेश भाजपा के लिए एक बड़ी जीत की तरह है जो विधायकों की बगावत से संकट में थी और 14 अक्तूबर को 16 अयोग्य विधायकों को विधानसभा से बाहर रखे जाने पर विश्वास मत जीत पाई थी. भाजपा के वकील सत्यपाल जैन ने तीसरे न्यायाधीश के फैसले की यह कहकर सराहना की कि इससे दल बदलुओं को अच्छा सबक मिला है.

भाजपा के असंतुष्ट विधायकों को विश्वास मत से पहले राज्य से बाहर ले जाकर सत्तारूढ़ पार्टी में बगावत को हवा देने वाले जनता दल (एस) ने कहा ‘यह सिर्फ मौजूदा स्थिति है. हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं और उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा.’

विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाले पांच निर्दलीय विधायकों की याचिका पर दो नवम्बर को सुनवाई होगी. 11 अक्तूबर को पहले विश्वास मत के दौरान येदियुरप्पा ने विवादास्पद तरीके से ध्वनि मत से इसे जीता था.

विधानसभा अध्यक्ष ने पहले शक्ति परीक्षण की पूर्व संध्या पर विधायकों को अयोग्य घोषित किया था. राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने पहले विश्वास मत के परिणाम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और 14 अक्तूबर को येदियुरप्पा से दोबारा विश्वास मत हासिल करने को कहा था. इसमें येदियुरप्पा सरकार 100 के मुकाबले 106 मतों से विजयी रही.

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