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एफडीआई का फैसला वापस ले सरकारः करुणानिधि

रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के सहयोगी भी अब खुलकर उसका विरोध करने उतर पड़े हैं. खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध करते हुए कांग्रेस की  सहयोगी पार्टी द्रमुक ने इसे खतरनाक करार दिया है और साथ ही इसे अविलंब वापस लेने की मांग की है.

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करुणानिधि
करुणानिधि

रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के सहयोगी भी अब खुलकर उसका विरोध करने उतर पड़े हैं. खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध करते हुए कांग्रेस की सहयोगी पार्टी द्रमुक ने इसे खतरनाक करार दिया है और साथ ही इसे अविलंब वापस लेने की मांग की है.

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द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने कहा, ‘केंद्र का यह दबाव कि राज्यों को इस फैसले को मानना चाहिए, उचित नहीं है. द्रमुक ने तब भी खुदरा कारोबार में एफडीआई का तब भी विरोध किया था जबकि पहली बार यह विचार सामने आया था.’

द्रमुक के 18 लोकसभा सांसद हैं और वह संप्रग की दूसरी सहयोगी पार्टी है जिसने इस पहल का विरोध किया है. इस फैसला का विरोध करने वाली पहली पार्टी रही ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और इसके भी लोकसभा में 18 सांसद हैं.

उन्होंने यहां एक बयान में कहा, ‘खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी देना खतरनाक है क्योंकि इससे लाखों छोटे व्यापारी और गरीब व मध्यम वर्गीय उपभोक्ता प्रभावित होंगे. यह हमारे देश में आर्थिक गिरावट की वजह भी बनेगा. द्रमुक ने संसद में इसं संबंध में चेतावनी दी है.’

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करुणानिधि ने कहा, ‘यदि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी दी जाती है तो भारत को बहुत नुकसान होगा. छोटे कारोबारियों और गरीब उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होगा.’ उन्होंने कहा, ‘एफडीआई के जरिए भारत को सुनामी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जो अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करता है. इसलिए इस मामले में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है.’

करुणानिधि ने इस मामले में अपनी धुर विरोधी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को भी आड़े हाथों लिया. उल्लेखनीय है कि जयललिता ने आरोप लगाया था कि केंद्र ने मनमाना रवैया अपनाते हुए इस मामले में राज्यों से परामर्श नहीं किया. करुणानिधि ने राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र घोषणा का मुकाबला उनके द्वारा दूध की कीमत और बस भाड़े में भारी बढ़ोतरी से नहीं की जा सकती. द्रमुक प्रमुख ने कहा कि केंद्र को न राज्यों को मजबूर करना चाहिए न ही इस फैसले को लागू करने का सुझाव देना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र को द्रमुक व अन्य पार्टियों के विचार और छोटे कर्मचारियों की मांग को स्वीकार करते हुए इस फैसले को वापस ले लेना चाहिए.

यह पिछले दो दिन में दूसरा मौका है जबकि द्रमुक ने केंद्र का विरोध किया है. इससे पहले भारतीय तट-रक्षक के पाक जल डमरूमध्य को मछुआरों के लिए वर्जित क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया था. इस प्रस्ताव का मकसद था भारतीय मछुआरों को हमले से बचाना.

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