तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता, केंद्र की संप्रग सरकार के घटक दल द्रमुक और राज्य के अन्य राजनीतिक दलों ने सुर में सुर मिलाते हुए श्रीलंकाई सेना को प्रशिक्षण देने के केंद्र के रुख की निंदा की.
सत्तासीन अन्नाद्रमुक ने केंद्र सरकार पर ‘संवेदनहीनता’ जबकि द्रमुक ने तमिलों को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री को कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर लिखे गए एक पत्र में अप्रसन्नता जाहिर करते हुए जयललिता ने बीते सप्ताह के अनुरोध की याद दिलायी जिसमें कहा गया था कि राज्य के वेलिंगटन नाम की जगह पर डिफेंस सर्विसेज कॉलेज में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे श्रीलंकाई सैनिकों को उनके देश भेजा जाए.
उन्होंने कहा, ‘मैं यह जानकर हैरान हूं कि मेरा अनुरोध मानने की बजाय भारत सरकार ने खुले तौर पर घोषित कर दिया कि जिस प्रशिक्षण के बारे में कहा जा रहा है वह जारी रहेगा क्योंकि श्रीलंका हमारा मित्र देश है. यह मेरी सरकार और तमिलनाडु की जनता की संवेदनाओं के प्रति केंद्र सरकार कर संवेदनहीनता को दर्शाता है.’
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि नयी दिल्ली को ऐसा ‘निंदनीय व्यवहार’ छोड़ कर राज्य की जनता के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता प्रदर्शित करनी चाहिए. भारत सरकार को तत्काल श्रीलंकाई सैनिकों को उनके देश भेज देना चाहिए. जयललिता के कट्टर प्रतिद्धंदी द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने भी केंद्र सरकार पर तमिलनाडु की जनता की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
तमिलनाडु के राजनीतिक व्यक्तियों की कड़ी प्रतिक्रिया तब आयी है जब एक दिन पहले ही रक्षा राज्य मंत्री एम एम पल्लम राजू ने कहा था कि श्रीलंकाई रक्षा बलों को दिया जा रहा प्रशिक्षण जारी रहेगा.