पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक रैली में सवाल पूछने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू की टिप्पणी के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की तीखी आलोचना की.
गौरतलब है कि काटजू ने ममता को तानाशाह, असहिष्णु और मनमौजी बर्ताव वाला बताया है.
भाजपा ने कहा कि जवाब देना नेताओं का कर्तव्य है और वे इससे भाग नहीं सकतें, वहीं ममता की चिर प्रतिद्वंद्वी माकपा ने शिलादित्य चौधरी नाम के इस व्यक्ति की गिरफ्तारी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और भयावह’ करार दिया. दरअसल, चौधरी ने एक रैली में मुख्यमंत्री से कहा था कि किसान मर रहे हैं और खोखले वादे से काम नहीं चलेगा.
इस पर मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई थी और चौधरी को माओवादी करार देते हुए पुलिस से उसे गिरफ्तार करने को कहा था. भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, ‘राजनीतिक स्तर पर पार्टियां सवाल पूछे जाने पर भाग नहीं सकती और जवाब देना उसका कर्तव्य है. उन्हें जवाब देना होगा. लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना अनुचित है. जनता जब सवाल पूछती है तो जवाब दिया जाना चाहिए.’
माकपा सांसद नीलोत्पल बसु ने कहा है कि यह गिरफ्तारी तानाशाही जैसी है. उन्होंने कोई आलोचना या सवाल नहीं सुनने को लेकर ममता की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार एक छोटी सी आलोचना को बर्दाश्त करने तक के मूड में नहीं है.’
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की कभी सराहना कर चुके काटजू ने कहा कि शिलादित्य चौधरी की गिरफ्तारी सरकारी तंत्र का खुलेआम दुरुपयोग और संवैधानिक अधिकारों एवं मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है. शिलादित्य ने मुख्यमंत्री से यह सवाल पूछ दिया कि वह किसानों की मदद के लिए क्या कदम उठा रही हैं? काटजू ने आज एक बयान में कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में एक नेता होने की वह हकदार नहीं हैं.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री के अवैध आदेशों पर अमल करने के खिलाफ आगाह किया. काटजू ने चेतावनी दी कि हिटलर के निर्देश पर काम करने चलते जो हश्र नाजी अपराधियों का हुआ है, वही हाल उनका (प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों) का होगा. इस व्यक्ति की गिरफ्तारी पर काटजू ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने तानाशाह तरीके से पहले भी बर्ताव किया है.
काटजू ने कहा कि ममता ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान कॉलेज छात्रा तानिया भारद्वाज को माओवादी करार दिया था, क्योंकि उसने एक मासूम सा सवाल पूछ लिया था. उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक को भी गिरफ्तार कराया था.
काटजू ने कहा, ‘मैंने पूर्व में एक बयान में ममता बनर्जी का समर्थन किया था क्योंकि मुझे लगा था कि किसी को किसी व्यक्ति की शख्सियत में कोई अच्छी चीज देखनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब मैंने अपना विचार बदल दिया है और ऐसा लगता है कि वह भारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश में एक नेता होने की बिल्कुल हकदार नहीं हैं. चूंकि उनका संवैधानिक और नागरिक अधिकारों के प्रति कोई सम्मान नहीं है तथा वह अपने बर्ताव में पूरी तरह से तानाशाह, असहिष्णु और मनमौजी हैं.’
काटजू ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दी कि गैरकानूनी आदेशों पर अमल करने के चलते उन्हें आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने बताया, ‘नुरेमबर्ग सुनवाई के दौरान नाजी युद्ध अपराधियों ने दलील दी थी कि आदेश तो आदेश होते हैं और वे तो हिटलर के आदेशों का सिर्फ पालन कर रहे थे, लेकिन यह दलील खारिज कर दी गई और इन लोगों को फांसी दे दी गई. पश्चिम बंगाल के अधिकारी यदि ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें नुरेमबर्ग फैसले से सबक सीखना चाहिए.’