लोकपाल विधेयक को लेकर अन्ना हजारे पक्ष और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अरुणा रॉय के बीच मतभेद गहरे होते दिख रहे हैं और अरविंद केजरीवाल के खबरों में आये इस बयान पर आपत्ति अरुणा राय ने जताई है कि उन्होंने (अरुणा ने) टीम अन्ना पर उनसे बातचीत नहीं करने का आरोप लगाया था.
अरुणा रॉय ने रालेगण सिद्धी में केजरीवाल द्वारा दिये गये बयानों पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘मैंने कभी यह आरोप नहीं लगाया कि टीम अन्ना ने इस मुद्दे पर हमारे (एनसीपीआरआई के) साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया. दरअसल एनसीपीआरआई ने बातचीत में शामिल होने से कभी इनकार नहीं किया. केजरीवाल ने खुद कहा है कि तीन दौर में बातचीत हुई है इसलिए यह आरोप गलत है कि हमने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया था.’
अरुणा ने 11 सितंबर को अखबारों में आये इस बयान पर भी गहरी आपत्ति जताई है, जिसमें केजरीवाल के हवाले से कहा गया है, ‘जब हम उनसे (अरुणा से) मिलने वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के घर गये तो उन्होंने हमें दरवाजे से यह कहकर लौटा दिया कि वह मुझसे बातचीत नहीं करना चाहतीं.’
उन्होंने एनसीपीआरआई के अपने सहयोगी निखिल डे के साथ जारी संयुक्त बयान में कहा कि नैयर ने उन्हें निजी मुलाकात के लिए आमंत्रित किया था जहां उन्होंने न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर, मेधा पाटकर और संभवत: प्रशांत भूषण को भी बुलाने की बात कही. जब हमें पता चला कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) से भी कुछ लोग आ रहे हैं तो हमने नैयर के सामने स्पष्ट कर दिया कि इस मुलाकात में लोकपाल पर चर्चा नहीं होगी क्योंकि यह मित्रवत बैठक है.
अरुणा ने यह भी कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर आईएसी तथा एनसीपीआरआई के बीच बातचीत अलग से हुई और किसी भी समय उनके संगठन ने यह नहीं कहा कि वह केजरीवाल से मुलाकात नहीं करेगी. गौरतलब है कि अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धी में 10-11 सितंबर को अन्ना पक्ष की कोर समिति की बैठक के बाद केजरीवाल ने कहा था कि उन्होंने अरुणा राय और उनकी टीम के साथ कई दौर की बातचीत की है.
इससे पहले खबरों में अरुणा का यह बयान आया था कि टीम अन्ना उनके साथ चर्चा करने की इच्छुक नहीं है. केजरीवाल ने दावा किया कि अरुणा की टीम ने कानून का कोई मसौदा तैयार नहीं किया है बल्कि सिर्फ प्रस्ताव हैं. उन्होंने कहा, ‘हम बातचीत के लिए तैयार हैं. हम अरुणा राय और उनकी टीम को सार्वजनिक चर्चा के लिए आमंत्रित करते हैं.’
इससे पहले देश में हजारे पक्ष के जन लोकपाल विधेयक पर शुरू हुई बहस के बीच अरुणा ने लोकपाल विधेयक का एक अलग मसौदा पेश किया था जिसे लेकर अन्ना पक्ष और उनके बीच मतभेद सामने आये थे.