आंदोलन की पगडंडी पर चलकर राजनीति के मैदान में जगह बनाने वाले अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया.
राजनीति में उतरने के साथ ही सामाजिक कायकर्ता अरविंद केजरीवाल व उनकी टीम ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद व प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन के सौदों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस ने आरोपों को किया खारिज
उधर, कांग्रेस ने इन आरोपों को असभ्य एवं गलत बताया. टीम ने रियल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख कम्पनी डीएलएफ द्वारा वाड्रा को बिना ब्याज और बिना किसी सुरक्षा राशि के 65 करोड़ रुपये का ऋण देने पर सवालिया निशान खड़ा किया. टीम के मुताबिक इसी पैसे से वाड्रा ने करोड़ों रुपये बनाए.
केजरीवाल ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'डीएलएफ ने प्रियंका गांधी के पति वाड्रा को पहले 65 करोड़ रुपये का ऋण दिया. फिर वाड्रा ने उसी पैसे से डीएलएफ की 35 करोड़ रुपये की सम्पत्ति सिर्फ पांच करोड़ रुपये में खरीदी.'
दावे के समर्थन में दस्तावेज
केजरीवाल ने कहा कि वाड्रा ने गुड़गांव सहित अन्य इलाकों में बाजार भाव से कम कीमत पर जमीनें खरीदीं और उन्हें ऊंचे दामों पर बेच दीं. उन्होंने कहा, 'रॉबर्ट वाड्रा ने हजारों करोड़ रुपये की सम्पत्ति खरीदी. उनके निवेश का स्रोत क्या था?' केजरीवाल ने अपने दावे के समर्थन में दस्तावेजों की प्रतियां भी वितरित कीं. केजरीवाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने गुड़गांव के वजीराबाद में लोक हित के नाम पर 350 एकड़ जमीन अधिग्रहित की लेकिन उसे डीएलफ को फ्लैट बनाने के लिए दे दी. वाड्रा ने इसमें से डीएलएफ के सात फ्लैट खरीदे हैं.
प्रशांत भूषण के गंभीर सवाल
केजरीवाल के सहयोगी एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, 'आखिर क्यों डीएलएफ ने वाड्रा को बगैर ऋण व बगैर सुरक्षा राशि के यह रकम दिया?' प्रशांत ने रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया से मिले दस्तावेजों के आधार पर कहा, 'वाड्रा ने 2007 में पांच कम्पनियों का निर्माण किया जिसकी निदेशक कुछ समय तक उनकी पत्नी प्रियंका गांधी भी थीं हालांकि बाद में वह इससे हट गईं. वर्तमान में इस कम्पनी में वाड्रा एवं उनकी मां निदेशक थीं.' उन्होंने कहा कि इन पांच कम्पनियों की बैलेंस शीट के अनुसार इनकी पूंजी मात्र पचास लाख रुपये है.
उन्होंने कहा कि सत्तारुढ़ गांधी खानदान के दामाद द्वारा पड़े पैमाने पर सम्पत्तियां खरीदने से कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि वाड्रा की कम्पनियों को पहले डीएलएफ ने सस्ता ऋण दिया और फिर इसके द्वारा अपनी सम्पत्तियों को कौड़ियों के मोल बेच दिया.
भूषण ने आरोप लगाया कि वाड्रा को सस्ती जमीन देने के कारण दिल्ली एवं हरियाणा की सरकारों ने डीएलएफ के लिए भूमि अधिग्रहण किया. उन्होंने कहा, 'हम इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हैं.'
बचाव में उतरे तमाम कांग्रेसी नेता
उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इन आरोपों को बदतर तरीके की राजनीतिक चालबाजी बताया. तिवारी ने तो यहां तक कहा कि तथा कथित नागरिक संगठन अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 'बी टीम' बनने का प्रयास कर रहा है.
पार्टी सांसद संदीप दीक्षित ने कहा, 'यह कहानी पहले इकोनोमिक टाइम्स में प्रकाशित हुई थी. केजरीवाल की यह पुरानी तरकीब है. वाड्रा ने उसी समय अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी. इस मामले में कांग्रेस को घसीटना गलत है.' केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने टीम केजरीवाल को उद्देश्यहीन पार्टी की संज्ञा दी.
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश को वाड्रा के आय का स्रोत जानने का अधिकार है. प्रसाद ने कहा, 'भाजपा इन सब चीजों की निष्पक्ष जांच की मांग करती है.'
दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा है कि भूमि आवंटित करना उसके अधिकार में नहीं आता है. डीएलएफ ने इसपर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.