अरविंद केजरीवाल ने आईआरएस सेवा से अपने इस्तीफा संबंधी मसले के समाधान के लिए नौ लाख से अधिक रुपए की राशि सरकार को सौंप दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह विरोध स्वरूप ऐसा कर रहे हैं और इसका यह मतलब नहीं कि उन्होंने कोई गलती मानी है.
केजरीवाल ने नौ लाख 27 हजार 787 रुपए के चेक के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिख कर उनसे मैग्सेसे पुरस्कार विजेता हरीश हांडे समेत अपने छह मित्रों को ‘परेशान’ नहीं करने का आग्रह किया है. इन्हीं लोगों ने केजरीवाल को यह राशि उधार दी है.
43 वर्षीय केजरीवाल के इस कदम को टीम अन्ना पर हो रहे हमलों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. गौरतलब है कि सरकार की ओर यह कहा गया था कि केजरीवाल ने आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) में तीन साल पूरे होने से पहले ही सेवा छोड़ पूरे वेतन पर अध्ययन अवकाश पर जा कर अनुबंध नियमों का उल्लंघन किया है.
हालांकि केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने गैर-वैतनिक अवकाश लिया और अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के बाद सेवा छोड़ी. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे चार पन्नों के पत्र में कहा, ‘मैं पत्र के साथ नौ लाख 27 हजार 787 रुपए का चेक भी भेज रहा हूं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैंने गलती मानी है. जब मुझे यही नहीं पता कि मैंने क्या गलती की है, तो इसे मानने का सवाल ही नहीं उठता.’
केजरीवाल ने लिखा, ‘मैं इस राशि को विरोध के तौर पर लौटा रहा हूं. मैं आपसे अपील करता हूं कि आप गृह मंत्री को मेरा इस्तीफा मंजूर करने का निर्देश दें. मेरा इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद मेरे पास इस राशि को वापस लेने के लिए अदालत जाने का अधिकार होगा.’
केजरीवाल ने दावा किया कि उनके पास कोई बचत राशि नहीं है और भुगतान के लिए उन्होंने अपने छह मित्रों से कर्ज लिया है. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने उन्हें पैसे देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने इसे नहीं लिया क्योंकि इसका आशय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का दुरुपयोग होना निकाला जा सकता था.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैंने उन लोगों से कर्ज लिया जिन्हें मैं कई साल से जानता हूं. पूरी सरकारी मशीनरी टीम अन्ना के पीछे पड़ी है. मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि आपकी सरकार उन लोगों को परेशान नहीं करे जिन्होंने मुझे कर्ज दिया है.’ केजरीवाल ने राजस्व सेवा के दौरान एक नवंबर, 2000 को दो साल के लिए पूरे वेतन पर अध्ययन अवकाश लिया था. उन्होंने एक बांड पर दस्तखत किये थे जिसके मुताबिक यदि वह अध्ययन अवकाश के तीन साल के भीतर इस्तीफा देते हैं या सेवानिवृत्त होते हैं या सेवा पर नहीं लौटते तो उन्हें पूरा वेतन लौटाना होगा.
केजरीवाल एक नवंबर 2002 को फिर से दफ्तर में पहुंचे लेकिन 18 महीने बाद बिना वेतन के छुट्टी ली. सरकार का कहना है कि 18 महीने बाद छुट्टी लेना बांड की शर्तों का उल्लंघन था. केजरीवाल ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने बांड के किसी प्रावधान को नहीं तोड़ा और अध्ययन अवकाश के बाद फिर से सेवा पर लौटने के तीन साल के बाद नौकरी से इस्तीफा दिया.
मुख्य आयकर आयुक्त कार्यालय ने पांच अगस्त को केजरीवाल को नोटिस जारी किया था और 9.27 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा. जिस पर केजरीवाल और अन्ना पक्ष के अन्य सदस्यों ने इसे राजनीतिक आकाओं के निर्देशों पर सरकारी विभाग की कार्रवाई करार दिया. केजरीवाल ने अपने पत्र में दावा किया कि उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन आपकी सरकार मुझसे ब्याज समेत वेतन लौटाने को कह रही है जो मैंने अध्ययन अवकाश के दौरान लिया.’ उन्होंने दलील दी, ‘आपकी सरकार मुझसे पूछ रही है कि बिना वेतन के दो साल की छुट्टियों में मैंने क्या किया. इस अवधि में मैंने आरटीआई का मसौदा तैयार किया था.’ केजरीवाल ने कहा कि मैग्सायसाय पुरस्कार जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान उन्हें उसी अवधि में मिले जब वह छुट्टी पर थे लेकिन सरकार की नजर में यह गलत है और वह गलत काम करने का आरोप लगा रही है.
उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि बिना वेतन के छुट्टियों के दौरान आरटीआई के लिए काम करते वक्त मैंने क्या अपराध किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं मैंने क्या गलत किया.’ केजरीवाल ने कहा कि वह पिछले पांच साल से सरकार को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मेरी फाइल देखी है और उन्हें भी मैं गलत लगता हूं. मुझे समझ नहीं आया कि मैंने क्या अपराध किया जिसके लिए मुझे दंडित किया जा रहा है. क्या कोई मुझे बता सकता है कि मैंने क्या गलत किया, ताकि मैं भविष्य में नहीं करुं.’
केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने यह वादा करते हुए दो साल का अध्ययन अवकाश लिया था कि बिजली और पीडीएस क्षेत्र में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जानकारी जुटाएंगे. उन्होंने कहा, ‘काम पर लौटने के बाद मुझे एक साल से अधिक समय तक कोई जिम्मेदारी नहीं दी गयी. मैं बिना काम के वेतन ले रहा था. मुझे यह गलत लगा. मेरे पास छुट्टी नहीं थी. इसलिए मैंने बिना वेतन के छुट्टी लेने का फैसला किया. मेरी छुट्टी मंजूर भी की गयी.’
केजरीवाल ने बताया कि आईआईटी-खड़गपुर में उनके सहपाठी रहे इंजीनियर सुब्रतो साहा ने उन्हें साढ़े तीन लाख रुपये उधार दिये. एक अन्य साथी हरीश हांडे ने उन्हें तीन लाख रुपये दिये. उन्होंने बताया कि सिविल इंजीनियर राजीव सराफ ने केजरीवाल को 1.15 लाख रुपये का कर्ज दिया, वहीं इंजीनियर अतुल बल ने 62 हजार रुपये व विकास गंगल ने 50 हजार रुपये का लोन दिया. टाटा स्टील में उनके पूर्व सहयोगी पी. श्रीनिवास ने भी 50 हजार रुपये दिये हैं.