हजारे पक्ष के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने नौ लाख रुपये का भुगतान करने संबंधी आयकर विभाग की नोटिस का पालन नहीं करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में काफी कम समय दिया गया है और इस पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय चाहिए.
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आयकर विभाग के नोटिस की मियाद वृहस्पतवार को समाप्त होने पर केजरीवाल ने कहा, ‘मैं इस विषय पर अपने मित्रों से सलाह कर रहा हूं और एक सप्ताह या 10 दिनों में कोई निर्णय कर लूंगा. उन्होंने मुझे काफी कम समय दिया है.’ आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वह सेवा शर्तो के तहत सम्पत्ति जब्त करने की कार्रवाई, बकाये के भुगतान नहीं करने के दोष संबंधी आपराधिक मामला शुरू कर सकते हैं.
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गौरतलब है कि आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त (सीसीआईटी) कार्यालय ने पांच अगस्त को केजरीवाल को नोटिस जारी किया था और 9.27 लाख रुपये का भुगतान करने का नोटिस भेजा था. नोटिस में कहा गया कि उन्होंने अनुबंध की धारा का उल्लंघन करने किया और दो वर्ष का अध्ययन अवकाश लिया. इसके बाद, एक सप्ताह पहले भी एक नोटिस जार किया गया और उनसे 27 अक्तूबर तक भुगतान करने को कहा गया.
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भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी के तौर पर केजरीवाल नवंबर 2000 से 2002 तक दो वर्ष के लिए अध्ययन अवकाश पर विदेश गए थे जिसे कथित तौर पर शपथ पत्र की धाराओं का उल्लंघन बताया गया. जब दिल्ली सीसीआईटी ने उन्हें 2007 और 2008 में इन बकाये के भुगतान के बारे में लिखा था तो केजरीवाल ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि उसे माफ किया जा सकता है.
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केजरीवाल और हजारे पक्ष के अन्य सदस्यों ने नोटिस जारी किये जाने की आलोचना करते हुए इसे राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर सरकारी विभाग की गंदी तरकीब करार दिया. सामाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने शपथपत्र की किसी धारा का उल्लंघन नहीं किया और अध्ययन अवकाश के बाद सेवा में पुन: शामिल होने के नियत तीन वर्ष बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.