भारतीय पत्रकारिता की सबसे बुजुर्ग हस्ती खुशवंत सिंह अब दुनिया से विदा लेना चाहते हैं. 98 वर्ष के हो चुके खुशवंत कहते हैं, अब समय आ गया है कि वह अपने बूटों को टांग दें, एक बार पीछे मुड़कर देखें और अंतिम यात्रा के लिए तैयार हो जाएं. लेकिन जिंदगी यह सिलसिला खत्म करने की इजाजत ही नहीं देती.
खुशवंत सिंह ने सोमवार को अपने एक स्तंभ 'विद मैलिस टुवार्डस वन एंड ऑल' में लिखा है, 'मैं 70 साल से लगातार लिखता रहा हूं. सच यह है कि मैं मरना चाहता हूं. मैंने काफी जी लिया और अब जिंदगी से तंग आ गया हूं. मुझे आगे कुछ नहीं देखना है और जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं है जो करने की मेरी इच्छा हो, जो करना था कर चुका. अब जब कुछ करने को बचा नहीं तो जिंदगी आगे खींचने का क्या मतलब.'
उन्होंने कहा कि उनके लिए राहत की बात सिर्फ यह है कि अतीत की अपनी प्रेमिकाओं की यादें आज भी ताजा हैं और उनके बारे में वह सोच सकते हैं. वह कहते हैं कि एक सदी पूरा करने में अभी दो साल कम है, अपने स्वास्थ्य की कमजोर स्थिति और व्हीलचेयर से बंधे रहने के बावजूद यह मजाकिया 'सरदार' हमेशा की तरह आज भी प्रफुल्लित है.
उल्लेखनीय है कि खुशवंत सिंह का जन्म 1915 में हुआ था. उन्होंने 'योजना', 'द इलस्ट्रेटेड वीकली' और 'नेशनल हेराल्ड' के अलावा 'हिंदुस्तान टाइम्स' का संपादन किया था. वह अंग्रेजी में लगभग 50 उपन्यास लिख चुके हैं और 'ट्रेन टू पाकिस्तान' सहित उनके कई कहानी संकलन प्रकाशित हैं. खुशवंत इस समय भी अखबारों के लिए स्तंभ लिखा करते हैं.