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ऐसा रहा रोमांस के 'यशस्‍वी किंग' का सफर...

दिग्‍गज फिल्‍मकार यश चोपडा़ के निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अनेक बड़ी हस्तियों ने यश चोपड़ा के निधन पर शोक जताया है.

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यश चोपडा़
यश चोपडा़

दिग्‍गज फिल्‍मकार यश चोपडा़ के निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अनेक बड़ी हस्तियों ने यश चोपड़ा के निधन पर शोक जताया है.

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यश चोपड़ा के निधन के बाद उनके व्‍यक्तित्‍व और फिल्‍म जगत में उनके द्वारा रखे गए मील के पत्‍थर को लोग याद कर रहे हैं. डालिए यश चोपड़ा के फिल्‍मी सफरनामे पर नजर...

गढ़ी रोमांस की नई परिभाषा
दुनिया को अलविदा कह गए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने अपने पांच दशक के बॉलीवुड करियर में कई फिल्मों के जरिए रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी. चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा की सबसे सफलतम फिल्मों का निर्देशन किया.

कई अभिनेताओं को बनाया 'सुपरस्‍टार'
‘एंग्री यंग मैन’ अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’ से लेकर ‘बादशाह’ शाहरुख खान की ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्में देने वाले यश चोपड़ा ने कैमरे के पीछे जाकर दशकों तक दर्शकों की नब्ज को थामे रखा. चोपड़ा और बच्चन की जोड़ी ने बॉलीवुड की ‘कभी कभी’ और ‘त्रिशूल’ जैसी फिल्में भी दीं. यदि शाहरुख खान फिल्मों के बादशाह हैं, तो यश चोपड़ा ‘किंगमेकर’ हैं. उन्होंने ही अपने कैमरे की कलाकारी से कई अभिनेताओं को बॉलीवुड का सुपरस्टार बना दिया.

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हालांकि उन्होंने अपना करियर अलग तरह की फिल्में बनाकर शुरू किया पर उन्हें हमेशा ‘चांदनी’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’, ‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों के लिये याद रखा जायेगा. उनकी शैली की रोमांटिक फिल्मों के लिये ‘यश चोपड़ा रोमांस’ लब्ज ईजाद हुआ. उन्होंने अपने पांच दशक के करियर में 50 से अधिक फिल्में बनायीं.

कई पुरस्‍कारों से नवाजा गया
यश चोपड़ा को उनके फिल्मी करियर में छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजा गया. उन्हें उनकी फिल्मों के चार बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. लाहौर में 27 सितंबर 1932 को जन्मे चोपड़ा बंटवारे के बाद भारत आ गये. वह इंजीनियर बनना चाहते थे.

हालांकि फिल्मनिर्माण के लिये अपने जज्‍बे के चलते वह मुंबई चले गये जहां उन्होंने आईएस जौहर और फिर अपने निर्माता निर्देशक भाई बीआर चोपडा़ के साथ सहायक निर्देशक बन गये. फिल्मों की कामयाबी के बाद चोपड़ा बंधुओं ने 50 और 60 के दशक में कई फिल्में बनायीं. यश चोपड़ा की पहली सफल फिल्म ‘वक्त’ को माना जाता है जो 1965 में आयी थी. इस फिल्म से ही बॉलीवुड में मल्टी स्टारर फिल्मों का चलन शुरू हुआ. उन्होंने फिल्म ‘चांदनी’ से अपनी रोमांटिक फिल्मों की पारी शुरू की. इसके बाद 1991 में उन्होंने ‘लम्हे’ बनायी.

शाहरुख 'किंग', तो यश 'किंगमेकर'
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ चोपड़ा का सफर 1993 में शुरू हुआ जब उन्होंने ‘डर’ बनायी. इस फिल्म में शाहरुख ने एक पागल प्र्रेमी की दमदार और असरदार भूमिका निभायी थी. ‘डर’ (1993) के बाद से उन्होंने तीन फिल्मों का निर्देशन किया जिसमें उन्होंने सिर्फ शाहरुख को ही मुख्य अभिनेता के रूप में चुना. 1997 में ‘दिल तो पागल है’, 2004 में ‘वीर ज़ारा’ और इस साल 13 नवंबर को आने वाली फिल्म ‘जब तक है जान’ में चोपड़ा-खान की इस जोड़ी ने पर्दे पर रूमानियत को नया आयाम दिया.

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पिछले महीने अपने 80 वें जन्मदिन पर एक साक्षात्कार में चोपड़ा ने शाहरुख के बारे में कहा था, ‘मुझे उनके साथ काम कर हमेशा एक अलग अनुभव हुआ. उन्होंने कभी मुझसे यह नहीं पूछा कि कहानी किस बारे में है और उन्हें कितने पैसे मिलेंगे. मैंने जब भी उन्हें चेक भेजा, उन्होंने पूछा कि मैंने उन्हें इतनी भारी रकम क्यों भिजवायी.’ यश राज बैनर तले बनी दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995), ‘दिल तो पागल है’ (1997), ‘मोहब्बतें’ (2000), ‘रब ने बना दी जोड़ी’ (2008) में भी शाहरुख ने ही पर्दे पर रूमानी किरदारों को जिया.

चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा भी एक सफल निर्देशक हैं और यश की विरासत को आगे ले जा रहे हैं. कुछ फिल्मों में पर्दे पर दिख चुके उनके दूसरे बेटे उदय चोपड़ा फिल्म निर्माण कंपनी की अंतरराष्ट्रीय शाखा का काम देख रहे हैं.

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