वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही किंगफिशर एयरलाईन्स ने राहत के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है. कंपनी ने लगातार पांचवें दिन उड़ानों को रद्द करना जारी रखा और इसका शेयर 19 फीसद गिरकर अब तक के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया लेकिन बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ.
सूत्रों ने बताया कि संकट की गंभीरता इस बात से स्पष्ट होती है कि किंगफिशर के मालिक विजय माल्या ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और नागर विमानन मंत्री वायलार रवि से अपील की है कि कम ब्याज दरों पर बैंकों के जरिए मदद की जाए. इसके अलावा वे सभी रियायतें दी जाएं जो एयर इंडिया को मिल रही हैं. हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि माल्या द्वारा इस सप्ताह की गई अपील पर कोई पहल हुई है या नहीं. शुक्रवार को कंपनी ने 40 से ज्यादा उड़ानें रद्द की और 50 पायलट और चालक दल के सदस्य बीमारी के नाम पर काम पर नहीं आए.
देश भर में भारी संख्या में किंगफिशर का टिकट रद्द कराकर यात्रियों ने अन्य विमानन कंपनी की सेवाएं लीं. हालांकि इसके लिए उन्हें आखिरी वक्त पर 20 से 40 फीसद ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ी. किंगफिशर ने इससे पहले कहा था उड़ानें 19 अक्तूबर के बाद व्यवस्थित हो जाएंगी लेकिन अब संकेत दिया है कि उड़ानों को सामान्य स्थिति में आने में और कुछ हफ्ते लगेंगे.
कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी संजय अग्रवाल ने कहा कि बिजनेस क्लास की सीटें लगाने और इसके रंगरोगन के लिए अपनी विमानों को उड़ान मुक्त करने अलावा दिल्ली-मुंबई जैसे कुछ वायु मार्गों पर उड़ानों की संख्या कम करने का फैसला किया गया है. इसके अलावा कम यात्रियों वाले नांदेड़-मैसूर वायुमार्गों पर भी उड़ानें कम की जाएंगी.
उन्होंने कहा कि ऐसा वायुमार्ग को तर्कसंगत बनाने के लिए किया जा रहा है ताकि मुनाफा और उड़ानों की आय उत्पादकता बढ़ाई जा सके. यह पूछने पर कि क्या नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है अग्रवाल ने कहा कि हम उनसे संपर्क में हैं. हमने उन्हें बताया है कि उड़ानें अस्थाई तौर पर रद्द की जा रही हैं. हम उन्हें सूचित करते रहेंगे.
महानिदेशालय ने विमान नियम, 1937 के नियम 140 :ए: के तहत किंगफिशर से पूछा था कि उड़ाने कम करने के बारे में इस नियम के तहत कंपनी ने नियामक से पूर्वानुमति क्यों नहीं ली. यह भी पूछा गया कि क्या विमानन कंपनी ने उन यात्रियों की मदद की जिन्हें उड़ानें रद्द होने से असुविधा हुई. इधर सरकारी तेल कंपनियों (एचपीसीएल, आईओसी और बीपीसीएल) ने माल्या के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी को रिण सुविधा देने से इन्कार कर दिया है और उससे कहा कि वह रोजाना जेट ईंधन का भुगतान करे. विमानन कंपनी को 2010-11 में 1,027 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था और उसका रिण बढ़कर 7,057.08 करोड़ रुपए हो गया.