प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र परियोजना पर जब देश ने 14 हजार करोड़ रुपये लगा दिए हैं तो इसे ‘बेकार’ पड़े रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
गौरतलब है कि लगातार विरोध के कारण कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र को शुरू करने का काम अटका पड़ा है. सिंह ने कहा कि इस तरह के विचार बढ़ते जा रहे हैं कि रूस की सहायता वाली परियोजना के खिलाफ आंदोलन में अति हो गई है. उन्होंने विश्वास जताया कि संयंत्र की सुरक्षा को लेकर चिंतित लोगों में अंतत: सद्बुद्धि आएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बात को लेकर आश्वस्त करने के लिए जरूरत से ज्यादा प्रयास किए हैं कि तिरुनेलवेली जिले में एक-एक हजार मेगावाट के लगाए जा रहे प्रत्येक रिएक्टर दुनिया में उपलब्ध सबसे सुरक्षित रिएक्टर हैं.
सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि कुडनकुलम परमाणु उर्जा परियोजना की पहली इकाई का संचालन अगले कुछ हफ्तों में शुरू होगा और उसके छह महीने बाद दूसरी इकाई चालू हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि बिजली की किल्लत से जूझ रहा तमिलनाडु इस बात को स्वीकार करेगा कि 14 हजार करोड़ रुपये की लागत से 2000 मेगावाट के संयंत्र लगाए गए हैं और हम इसे बेकार पड़े रहने नहीं दे सकते.’
सिंह ने कहा कि अगर कुडनकुलम की पहली दो ईकाइयां दो हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन करती हैं तो करीब एक हजार मेगावाट बिजली तमिलनाडु को उपलब्ध होगी और शेष बिजली दक्षिण भारत में अन्य राज्यों को उपलब्ध करायी जाएगी. प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब उनसे संयंत्र को चालू करने के संबंध में उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा गया जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.
सिंह ने कहा, ‘कठिनाईयां हैं. कुछ लोग परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और हमने उन्हें आश्वस्त करने के लिए जितना हो सकता है उससे अधिक प्रयास किया है कि कुडनकुलम में लगाए जा रहे परमाणु रिएक्टर दुनिया में उपब्लध सबसे अधिक सुरक्षित रिएक्टर हैं.’ सिंह ने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि आखिरकार सद्बुद्धि आएगी. मेरा मानना है कि राजनीति कई बार बहुत गंदी है. अंतिम विश्लेषण में मुझे भरोसा है कि इस मामले में सद्बुद्धि आएगी.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु सरकार और स्थानीय लोगों के प्रतिनिधियों से संवाद करने के लिए 15 विशेषज्ञों का समूह गठित किया गया है और विधायिका और उनके समेत ज्यादा से ज्यादा लोगों की यह राय बनती जा रही है कि इस आंदोलन में अति हो गई है.