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'लाडली लक्ष्मी योजना' को नहीं मिला कानूनी रूप

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर लाडली लक्ष्मी योजना है, मगर इस योजना को कानूनी रूप देना महिला एवं बाल विकास विभाग की प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं को तो विभाग पूरा कर चुका है मगर कानून बनाने की घोषणा अब भी लंबित है.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर लाडली लक्ष्मी योजना है, मगर इस योजना को कानूनी रूप देना महिला एवं बाल विकास विभाग की प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं को तो विभाग पूरा कर चुका है मगर कानून बनाने की घोषणा अब भी लंबित है.

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लाडली लक्ष्मी योजना का मकसद बालिका जन्म को प्रोत्साहित करना है. इस योजना के लिए चौहान की काफी तारीफ हुई थी. इतना ही नहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में सरकार ने इस योजना को मील का पत्थर करार दिया था और मतदाताओं ने भी इस योजना को सराहते हुए चौहान को सरकार बनाने का मौका दिया था.

राज्य के जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने कुल 31 घोषणाएं की थीं. इनमें से 16 घोषणाओं पर अमल हो चुका है, मगर लाडली लक्ष्मी योजना ही एकमात्र ऐसी योजना है जिसे कानूनी रूप दिया जाना अभी लंबित है.

आधिकारिक बयान में बताया गया कि राज्य से कुपोषण समाप्त करने के लिए 14 मई 2010 को राज्य विधानसभा द्वारा अटल बाल योजना आरोग्य एवं पोषण मिशन की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को नोडल विभाग भी घोषित किया गया. विभाग ने इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए 24 दिसम्बर 2010 को मिशन का औपचारिक शुभारंभ भी मुख्यमंत्री से कराया था.

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बताया गया है कि विभाग के सभी अधिकारियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों का दौरा किया और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. अब तक आठ पर्यवेक्षकों को निलम्बित किया गया है और 1682 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का एक माह का मानदेय रोका गया है. कार्य में सुधार न होने पर 140 कार्यकर्ताओं और 128 सहायिकाओं को सेवा से अलग कर दिया गया है.

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