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अलगाववादियों से डरती है उमर सरकार: आडवाणी

गणतंत्र दिवस के दिन श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस बात पर जोर दिया है कि तिरंगा फहराने के इच्छुक लोग अलगाववादियों को चुनौती दे रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने अलगाव फैलाने वालों के समाने आत्मसमर्पण कर दिया है.

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गणतंत्र दिवस के दिन श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस बात पर जोर दिया है कि तिरंगा फहराने के इच्छुक लोग अलगाववादियों को चुनौती दे रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने अलगाव फैलाने वालों के समाने आत्मसमर्पण कर दिया है.

आडवाणी ने इच्छा व्यक्त की है कि संभवत: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस भावना को समझेंगे. आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, ‘भाजपा की युवा शाखा श्रीनगर के लाल चौक पर गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा फहराने के लिए कोलकाता से श्रीनगर की तिरंगा यात्रा निकाल रही है. यात्रा 20 जनवरी को दिल्ली से गुजरी.’ उन्होंने लिखा है, ‘उस दिन शाम पांच बजे, एक समारोह में मैंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष और सांसद अनुराग ठाकुर को औपचारिक तौर पर एक तिरंगा सौंपा, जिसे श्रीनगर में फहराया जाए.’

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आडवाणी के मुताबिक, ‘उसके कुछ ही घंटे बाद, जम्मू-कश्मीर की सरकार ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वह भाजपा को तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं देगी क्योंकि इस कार्यक्रम से प्रदेश का शांतिपूर्ण वातावरण खराब होगा.’ भाजपा नेता ने लिखा, ‘अगले दिन मैंने फ्री प्रेस, मुंबई में इस कार्यक्रम से जुड़ी एक खबर देखी, जिसका शीषर्क था, ‘लाल चौक हरा हो सकता है, भगवा नहीं’, इसके साथ पिछले साल ईद पर लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा फहराते हुए एक तस्वीर छपी थी.’{mospagebreak}

आडवाणी ने लिखा, ‘इस खबर को प्रदर्शित और प्रस्तुत करने का तरीका, मुझे लगता है कि प्रदेश सरकार को हमारे अधिकारियों की शर्मिंदगी के स्तर का अहसास कराएगा.’ भाजपा नेता के मुताबिक, ‘केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर एक बार मैं लंदन गया, जहां एक भारतीय फर्म के होटल में रुका. मैनेजर ने मेरे पास आकर एक समस्या बताई. उसने कहा कि लंदन में गैर ब्रितानी लोग अपने होटलों पर अपने देश का झंडा फहराते हैं, पर हमारे देश में बहुत सीमित झंडा कोड के कारण हम ऐसा नहीं कर पाते. क्या इस दिशा में कुछ किया नहीं जा सकता.’

उन्होंने लिखा है, ‘वहां से लौटने के बाद गृह मंत्रालय में इस मुद्दे पर विमर्श करने के लिए डॉ. पीडी शिनॉय के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई. इसके बाद संशोधित संहिता को केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुमति मिली, जिसे ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002’ के तौर पर जारी किया गया. यह 26 जनवरी, 2002 से लागू हुई.’

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भाजपा नेता के मुताबिक, ‘गृह मंत्रालय के इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के बाद कई नागरिकों ने भी इस पर कदम बढ़ाए. दिल्ली निवासी नवीन जिंदल इस मुद्दे को उच्चतम न्यायालय ले गए.’ उन्होंने लिखा है, ‘न्यायालय ने अपने फैसले में नागरिकों के ध्वज फहराने के अधिकार को मूलभूत अधिकार बताया.’

आडवाणी ने लिखा, ‘मेरी इच्छा है कि प्रधानमंत्री भी इस बात को महसूस करें कि अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में ये युवा वर्ग कोई राजनीतिक मुद्दा उठाने की कोशिश नहीं कर रहे, ये अलगाववादियों को चुनौती दे रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार अलगाव फैलाने वालों के सामने घुटने टेक रही है.’

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