राज्यसभा में लोकपाल बिल पर चर्चा के दौरान बिल की कॉपी फाड़ने वाले राजद नेता और राज्यसभा सदस्य राजनीति प्रसाद ने बीजेपी के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि सदन में लोकपाल विधेयक की प्रति फाड़ने की उनकी कार्रवाई के पीछे लालू प्रसाद की सीख थी.
राजनीति प्रसाद ने कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष ने उनसे ऐसा करने को नहीं कहा था. उन्होंने कहा, ‘मेरी कार्रवाई किसी के सिखाने की वजह से नहीं थी. जो कुछ मैंने किया, वह उन पलों में मेरी भावनाओं का इजहार था.’
राज्यसभा में मध्य रात्रि से कुछ पहले जब राजनीति प्रसाद ने विधेयक की प्रति फाड़ी थी, तब राजद प्रमुख लालू प्रसाद सदन में लोकसभा सदस्यों की दीर्घा में बैठे सब देख रहे थे.
राजनीति प्रसाद को अपने किए पर पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को भ्रष्टाचार निरोधक पैनल में आरक्षण नहीं दिया जाएगा और प्रधानमंत्री को इसके दायरे से बाहर नहीं रखा जाएगा तब तक वह भविष्य में भी सदन में विधेयक को आगे नहीं बढ़ने देंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह फिर से विधेयक को फाड़ेंगे, उन्होंने कहा, ‘मेरा विरोध परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.’ राजनीति प्रसाद की तरह ही उच्च सदन में उनकी पार्टी के सहयोगियों ने भी उनकी कार्रवाई का समर्थन किया है. राज्यसभा में राजद के नेता जाबिर हुसैन ने कहा कि सभी ने राजनीति प्रसाद की कार्रवाई को स्थिति के संदर्भ में देखा.
उन्होंने कहा, ‘केवल राजनीति प्रसाद ही नहीं, बल्कि राजद के सभी प्रतिनिधि इस बात को लेकर नाराज थे कि भ्रष्टाचार निरोधक पैनल में अल्पसंख्यक समुदाय को आरक्षण दिए जाने के बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा. राजनीति प्रसाद अपनी भावनाओं को रोक नहीं सके.’
करीब एक दशक तक बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष रहे हुसैन ने कहा कि संसदीय इतिहास में यह पहला अवसर नहीं है जब कुछ ऐसा हुआ हो. राजद सदस्य रामकृपाल यादव ने कहा, ‘जो कुछ राजनीति प्रसाद ने किया उसका कोई गलत उद्देश्य नहीं था.’ उन्होंने कहा कि संसद में और विधानसभा में पहले भी ऐसे विरोध हुए हैं.